Domestic Worker Rights Protection: घरों में काम करने वाले नौकरों के साथ नहीं हो सकेगी धोखेबाजी, कोर्ट ने सरकार को दिया आदेश…

Domestic Worker Rights Protection सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को घरेलू कामगारों (डोमेस्टिक वर्कर्स) की सुरक्षा के लिए एक कानून बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि भारत में घरेलू कामगारों की मांग बढ़ रही है, लेकिन उन्हें अपने अधिकारों और सुरक्षा के लिए कोई कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती। इस वजह से उन्हें अक्सर शोषण, उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है।
विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाए- SC
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की अदालत ने कहा कि घरेलू कामगार एक जरूरी कामगार वर्ग हैं, लेकिन उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कोई राष्ट्रीय कानून नहीं है। इसलिए, वे नियोक्ताओं और प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा शोषण का शिकार होते हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह घरेलू कामगारों के अधिकारों, सुरक्षा और कल्याण के लिए एक कानूनी ढांचा बनाने पर विचार करें। इसके लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाए।
क्या है मामला?
अदालत ने कहा कि घरेलू कामगारों के खिलाफ उत्पीड़न और दुर्व्यवहार पूरे देश में फैला हुआ है। उन्हें कम वेतन, असुरक्षित कामकाजी माहौल और लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके बावजूद, उन्हें कोई कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती। अदालत ने एक मामले का उदाहरण दिया जहां एक घरेलू कामगार को कई सालों तक प्रताड़ित किया गया और उसका वेतन रोक दिया गया, जिससे वह बेसहारा हो गई।
कमजोर कामगारों के लिए जरूरी है कानून
अदालत ने कहा कि अभी तक घरेलू कामगारों के लिए कोई प्रभावी कानून नहीं बनाया गया है, जबकि यह लाखों कमजोर कामगारों के लिए बहुत जरूरी है। हालांकि, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और केरल जैसे कुछ राज्यों ने घरेलू कामगारों के अधिकारों और कल्याण के लिए कदम उठाए हैं।
Domestic Worker Rights Protectionयह फैसला डीआरडीओ के वैज्ञानिक अजय मलिक की याचिका पर आया था, जिसमें उन्होंने देहरादून में एक घरेलू कामगार के साथ हुई तस्करी और दुर्व्यवहार के मामले में अपने खिलाफ चल रही कानूनी कार्रवाई को रद्द करने की मांग की थी।