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इस योजना से कर रहा किसान बंजर जमीन पर लाखों की कमाई, जाने योजना का नाम

सरकार ने किसानो के लिए एक बहुत शानदार योजना बनाई है जिसका नाम है फसल विविधीकरण योजना. जिसके तहत शुष्क बागवानी कार्यक्रम में किसानों को आंवला, नींबू, बेल और कटहल की खेती करने के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपए सब्सिडी के रुप में दी जा रही है. इससे किसान भाई बंजर भूमि से अच्छी कमाई कर सकते हैं.

आप भी उन किसानो में से एक है जिनका एरिया भी कम वर्षा वाला क्षेत्र है. अगर आपकी आय में भी कमी हो रही है तो आप कृषि विभाग के द्वारा आय में वृद्धि करने के लिए फसल विविधीकरण योजना का लाभ ले सकते हैं. सरकार की इस योजना के तहत किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के माध्यम से फलदार पौधे जैसे आंवला, नींबू, बेल और कटहल के पेड़ लगाने के लिए सब्सिडी दी जा रही है.फसल विविधीकरण योजना के तहत शुष्क बागवानी कार्यक्रम में किसानों को आंवला, नींबू, बेल और कटहल की खेती करने के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपए सब्सिडी के रूप में दी जा रही है. इस योजना का उद्देश्य कम वर्षा वाले क्षेत्र में फल पौधे को बढ़ावा देना है.

इस योजना से कर रहा किसान बंजर जमीन पर लाखों की कमाई, जाने योजना का नाम

सरकार की इस योजना की सहायता से मोहडा प्रखंड क्षेत्र के सोनरा गांव के किसान संजय कुमार सिंह ने 10 कट्ठा में नींबू और माल्टा की बागवानी कर रखी है. शायद आप न जानते हो की यह इलाका बिल्कुल बंजर है और इस जमीन पर इसकी बागवानी हो रही है. संजय को उद्यान विभाग से पेड़ उपलब्ध कराए गए थे. पिछले तीन साल से संजय नींबू की बागवानी कर रहे हैं. पिछले वर्ष से इनके फल आना शुरू हो गए. 50 पेड़ नींबू जबकि 150 पेड़ मालटा के हैं. इससे उन्हें सालाना 12 क्विंटल नींबू का उत्पादन है. इसकी मई-जून में हार्वेस्टिंग की जाएगी.

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इस प्रजाति के लगाए हैं नींबू

संजय ने अपने खेतो में नेपाली और बंगाल प्रजाति के नींबू लगाए हैं, जो साल भर फल देते हैं. साथ ही इसका साइज भी काफी बड़ा होता है. मार्केट में यह नींबू 800 रुपये सैकड़ा बिकता है. साथ ही इनका नींबू गया के अलावे नालंदा जिले भी जाता है. नालंदा की दूरी इनके घर से बेहद नजदीक है. नालंदा के बाजारों में इनके फल की खूब डिमांड है. इसके आलावा भी संजय 30 बीघा में अन्य फसल की खेती करते हैं. कृषि विभाग के प्रशिक्षण कार्यक्रम में संजय कई बार सबौर, आईसीएआर, कृषि विज्ञान केंद्र जा चुके हैं.

सालाना इतनी होती है उपज

संजय से जब इसकी उपज के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया की चार साल पहले प्रशिक्षण के लिए कृषि विश्वविद्यालय सबौर गए हुए थे. वहां के वैज्ञानिकों ने नींबू की बागवानी पर जोर दिया. उसके फायदे के बारे में बताया गया. इसके बाद उन्होंने 50 पेडू नींबू के अपने खेतों में लगा दिए. फिलहाल 50 पेड़ से सालाना 70-80 हजार रुपये की बचत हो रही है. साथ ही उन्होंने बताया की एक पेड़ से लगभग 50 किलो फल निकलता है.

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