GST News: PMO ने दी GST के नियमों में बड़े बदलाव को मंजूरी, जानें कब से होंगी नई दरें लागू

GST News देश में 1 जुलाई 2017 को GST लागू हुआ था, जिससे टैक्सेशन को एकसमान और आसान बनाने की कोशिश की गई थी. लेकिन बीते वर्षों में इसमें इतनी जटिलताएं जुड़ गईं कि अब फिर से बड़ी सर्जरी की जरूरत महसूस हो रही है. अब प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने GST सुधार के एक अहम प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. इसे अब संसद के मानसून सत्र के बाद अगस्त में होने वाली GST परिषद की बैठक में पेश किया जाएगा.
GST रेट रेशनलाइजेशन: सिस्टम को आसान करने की दिशा में बढ़ा कदम
वित्त मंत्रालय ने सभी राज्यों से इस प्रस्ताव पर सहमति बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मंत्री समूह (GoM) पहले ही इस मुद्दे पर काम कर चुका है, लेकिन अबतक ठोस निर्णय नहीं हो पाया. सरकार इस बार रेट रेशनलाइजेशन यानी टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाने की दिशा में ठोस कार्रवाई के मूड में है.
क्यों जरूरी हो गया बदलाव?
उद्योग जगत ने लंबे समय से शिकायत की है कि GST में टैक्स स्लैब बहुत ज्यादा हैं, जिससे कंफ्यूजन होता है.
छोटे कारोबारियों के लिए कंप्लायंस जटिल हो गया है.
अलग-अलग स्लैब में आने वाली वस्तुओं को लेकर विवाद और अनिश्चितता बनी रहती है.
आम उपभोक्ता भी भ्रमित रहते हैं कि कौन-सी वस्तु पर कितना टैक्स लग रहा है.
वर्तमान GST स्लैब्स का विश्लेषण
स्लैब दर वस्तुओं का प्रतिशत मुख्य श्रेणियाँ
0% – जरूरी वस्तुएं, किताबें
5% 21% खाद्य सामग्री, सामान्य उपभोग
12% 19% घरेलू वस्तुएं
18% 44% (सबसे ज्यादा) इलेक्ट्रॉनिक्स, सर्विसेज
28% 3% लक्ज़री और सिन टैक्स सामान
इसके अलावा सोना-चांदी जैसे मूल्यवान धातुओं पर 0.25% और 3% की विशेष दरें लागू हैं.
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क्या हट सकता है 12% वाला स्लैब?
प्रस्ताव के अनुसार 12% स्लैब को खत्म कर इसमें आने वाली वस्तुओं को या तो 5% या 18% स्लैब में स्थानांतरित किया जा सकता है. इससे टैक्स सिस्टम न केवल सरल होगा, बल्कि सरकारी टैक्स कलेक्शन भी स्थिर हो सकता है.
फायदा
कारोबारियों को टैक्स दर तय करने में सरलता
ग्राहक के लिए पारदर्शिता
विवादों में कमी
आपकी जेब पर क्या होगा असर?
यदि अधिक वस्तुएं 5% स्लैब में जाती हैं: दैनिक जीवन सस्ता हो सकता है.
यदि अधिकांश वस्तुएं 18% में जाती हैं: महंगाई का असर दिखेगा.
टैक्स फाइलिंग और चालान सिस्टम भी सरल किए जाने की बात चल रही है, जिससे MSMEs को राहत मिल सकती है.
मुआवजा उपकर (Cess) अब मार्च 2026 तक जारी रहेगा
GST लागू करते समय राज्यों के राजस्व घाटे की भरपाई के लिए कुछ उत्पादों पर अतिरिक्त सेस लगाया गया था—जैसे सिगरेट, एसी, SUV गाड़ियां आदि. इसे जून 2022 तक खत्म होना था, लेकिन कोविड के कारण केंद्र ने ₹2.69 लाख करोड़ का कर्ज लिया और उसे चुकाने के लिए अब यह उपकर मार्च 2026 तक जारी रहेगा. एक मंत्री समूह इस पर भी विचार कर रहा है कि जो सेस फंड बचा है, उसका इस्तेमाल कैसे किया जाए.
सियासत भी गर्माई! सांसदों ने जताई चिंता
GST News स्लैब को लेकर सभी दलों के सांसदों ने अपनी चिंता व्यक्त की है. उनका मानना है कि स्लैब की अधिकता से जनता और कारोबारी, दोनों परेशान हैं. संसद में भी GST के मौजूदा ढांचे पर फिर से बहस की संभावना है