Bombay High Court: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ‘लाउडस्पीकर का उपयोग धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं’, तुरन्त कार्रवाई के लिए दिए आदेश…

Bombay High Courtधार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के प्रयोग को लेकर कई बार विवाद हुआ है. राजनीतिक गलियारों में भी इस पर जमकर बहसबाजी हुई है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. कोर्ट ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ध्वनि प्रदूषण के मानदंडों और नियमों का उल्लंघन करने वाले लाउडस्पीकरों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. जानिए पूरा मामला
स्वास्थ्य के लिए खतरा
जस्टिस एएस गडकरी और एससी चांडक की खंडपीठ ने कहा कि ध्वनि एक बड़ा स्वास्थ्य खतरा है. कोई भी यह दावा नहीं कर सकता कि अगर उसे लाउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाती है तो उसके अधिकार किसी भी तरह से प्रभावित होते हैं. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को धार्मिक संस्थानों को ध्वनि के स्तर को नियंत्रित करने के लिए तंत्र अपनाने का निर्देश देने को कहा, जिसमें ऑटो-डेसिबल सीमाओं के साथ कैलिब्रेटेड साउंड सिस्टम शामिल हैं.
Bombay High Courtअधिकारियों को याद दिलाते हुए कि आवासीय क्षेत्रों में ध्वनि का स्तर दिन के दौरान 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए, न्यायालय ने कहा कि सभी को इन सीमाओं का पालन करना चाहिए. अदालत ने कहा, “कानून इसकी अनुमति नहीं देता कि प्रत्येक व्यक्तिगत लाउडस्पीकर 55 या 45 डेसिबल शोर करेगा, जो इन नियमों के तहत निर्धारित शोर से अधिक होगा. बता दें कि ध्वनि प्रदूषण नियमों के प्रावधानों का बार-बार उल्लंघन उनके संज्ञान में लाया जाता है.