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मोरबी में 132 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन? पुल गिरने से पहले दिखा था ऐसा नजारा,रेस्क्यू अफसर बोले- पुल के नीचे शव फंसे हो सकते हैं

गुजरात (Gujarat) के मोरबी (Morbi) में मच्छु नदी (Machchhu River) पर बना केबल पुल (Cable Bridge) रविवार की शाम करीब साढ़े 6 बजे टूटकर गिर गया. मोरबी में हुए इस दर्दनाक हादसे में 132 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोगों के घायल होने की बात सामने आई है. चश्मदीदों के मुताबिक, जब मोरबी केबल ब्रिज टूटा, तब बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे पुल पर मौजूद थे. मोरबी केबल ब्रिज अंग्रेजों के समय का बताया जा रहा है. गुजराती नववर्ष के मौके पर 5 दिन पहले ही मोरबी केबल ब्रिज को सैलानियों के लिए खोला गया था और यह पुल नदी में गिर गया है. अधिकारी मोरबी केबल ब्रिज का मैनेजमेंट देखने वाली कंपनी पर आरोप लगा रहे हैं. आइए जानते हैं कि मोरबी केबल ब्रिज गिरने के कारण हुई 132 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है?

बता दें कि मोरबी केबल ब्रिज का रखरखाव करने वाली कंपनी के ऊपर गैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज कर लिया गया है. सवाल है कि मोरबी केबल ब्रिज पर अचानक इतनी भीड़ कैसे पहुंच गई? भीड़ को रोकने के लिए कोई इंतजाम क्यों नहीं किया गया? मोरबी केबल ब्रिज खोले जाने के बाद यहां सिर्फ 4 दिन में करीब 12 हजार सैलानी पहुंचे थे. इनको नियंत्रित करने के लिए कोई व्यवस्था क्यों नहीं थी?

गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि राज्य सरकार ने मोरबी केबल ब्रिज हादसे की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया है. पांच सदस्यीय टीम जांच करेगी कि मोरबी केबल ब्रिज कैसे टूटा? इसके अलावा पुल का रखरखाव करने वाली कंपनी के खिलाफ केस दर्ज हो चुका है. कई महीने की मरम्मत के बाद मोरबी केबल ब्रिज को जनता के लिए खोल गया था.

4 बड़े अपडेट्स…
1. मोरबी हादसे में मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।
2. राजकोट के भाजपा सांसद के परिवार के 12 लोग हादसे में मारे गए।
3. NDRF को अब तक 132 लोगों के शव मिले हैं। कई अभी भी लापता। पुल के नीचे शव फंसे होने की आशंका है।
4. हेल्पलाइन नंबर 02822243300) जारी। मोरबी और राजकोट हॉस्पिटल में इमरजेंसी वार्ड बना।

4 पॉइंट में मोरबी हादसा, एक्शन और रेस्क्यू…

1. रेस्क्यू

रात में ही SDRF, NDRF, आर्मी और वायुसेना की टीमें पहुंच गई थीं। इनके अलावा जामनगर यानी 100 किमी. दूर से वायुसेना के 50 गरुड़ कमांडो भी पहुंचे। सोमवार सुबह NDRF अफसर ने बताया कि कुछ शव पुल के नीचे फंसे हो सकते हैं। मटमैले पानी की वजह से लोगों को ढूंढने में दिक्कत आ रही है। रेस्क्यू बोट्स, तैराक, गोताखोर के अलावा दर्जनभर टीमें ऑपरेशन में जुटी हैं।

2. मदद

राज्य और केंद्र सरकार दोनों ने हादसे के प्रभावितों को मदद का ऐलान किया है। केंद्र मृतकों के आश्रितों को दो लाख और घायलों को 50 हजार रुपए देगा। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि मृतकों के आश्रितों को 4 लाख और घायलों काे 50 हजार दिए जाएंगे।

3. जिम्मेदारी किसकी, एक्शन क्या हुआ

ब्रिज के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया है। ग्रुप के पास ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने, स्टाफ का प्रबंधन है। इस कंपनी पर गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है। कमेटी बनाई गई है, जो हादसे की जांच कर जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपेगी।

4. आरोप
कांग्रेस ने कहा कि चुनाव की जल्दबाजी में भाजपा ने पुल को लोगों के लिए जल्दी खोल दिया। खुलने के 5 दिन बाद ही पुल कैसे ढह गया। इसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुआई में जांच कमेटी बनानी चाहिए।

143 साल से भी ज्यादा पुराना है ब्रिज, मोरबी के राजा यहीं से दरबार जाते थे
मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 143 साल पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है। यह सस्पेंशन ब्रिज गुजरात के मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है। इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ था। पुल बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था।

ब्रिज का निर्माण मोरबी के राजा प्रजावत्स्ल सर वाघजी ठाकोर की रियासत के दौरान हुआ था। उस समय राजा राजमहल से राज दरबार तक जाने के लिए इसी पुल का इस्तेमाल करते थे। राजशाही खत्म होने के बाद इस पुल की जिम्मेदारी मोरबी नगर पालिका को सौंप दी गई थी। लकड़ी और तारों से बना यह पुल 233 मीटर लंबा और 4.6 फीट चौड़ा है।

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