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मोदी की परीक्षा पे चर्चा: PM ने इन बिंदुओं पर की बात

परीक्षा पे चर्चा न्यूज: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों से बात की। कार्यक्रम नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित हुआ। 2:30 घंटे तक चले कार्यक्रम में पीएम ने करीब 1 हजार छात्रों से सीधी बात की और उनके सवालों के जवाब भी दिए। इसमें कई तरह के सवाल शामिल रहे, जैसे एग्जाम के कारण तनाव को कैसे कम करें, मोटिवेशन के लिए क्या करें, मां-बाप को सपनों के बारे में कैसे समझाएं। छात्र-छात्राओं के अभिभावक और टीचर्स भी कार्यक्रम में शामिल रहे।

पीएम मोदी ने तालकटोरा स्टेडियम में पहुंचकर सबसे पहले देश भर के छात्रों द्वारा बनाई गई कई प्रदर्शनी परियोजनाओं को देखा। इस दौरान उन्होंने बच्चों के ऑटोग्राफ भी लिए।

कार्यक्रम की शुरुआत में पीएम ने कहा कि परीक्षा की टेंशन नहीं होनी चाहिए। परीक्षा को त्योहार बना दें तो उसमें रंग भर जाएंगे। पीएम ने परीक्षा से डर के सवाल के जवाब में कहा कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है। इससे डरना नहीं चाहिए। आप पहले भी परीक्षा दे चुके हैं। अपने अनुभवों को ताकत बनाएं। जो करते आए हैं उसमें विश्वास करें। अब हम एग्जाम देते-देते एग्जाम प्रूफ हो गए हैं।

माध्यम नहीं मन समस्या

पीएम से दूसरा सवाल सोशल मीडिया की एडिक्शन के बारे में पूछा गया। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जब आप ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो क्या आप सच में पढ़ाई करते हैं? दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है। क्लास में भी कई बार आपका शरीर क्लास में होता है और मन कहीं और होता है। पीएम ने कहा कि जो चीजें ऑफलाइन होती हैं, वही ऑनलाइन भी होती हैं। इसका मतलब है कि माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है। माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, अगर मन पूरा उसमें डूबा हुआ है, तो आपके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन का कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

ऑनलाइन से पाकर ऑफलाइन में साकार करें

पीएम ने कहा कि आज हम डिजिटल गैजेट के माध्यम से बड़ी आसानी से चीजों को पा सकते हैं। हमें इसे एक अवसर मानना चाहिए, न कि समस्या। हमें कोशिश करनी चाहिए कि ऑनलाइन पढ़ाई को एक रिवॉर्ड के रूप में अपने टाइमटेबल में रखें। ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफलाइन बनने के लिए है। मुझे कितना ज्ञान अर्जित करना है मैं अपने मोबाइल फोन पर ले आऊंगा, जो मैंने वहां पाया है, ऑफलाइन में मैं उसे पनपने का अवसर दूंगा। ऑनलाइन को अपना आधार मजबूत करने के लिए उपयोग करें और ऑफलाइन में जाकर उसे साकार करें।

खेलना खिलने के लिए अनिवार्य

न्यू एजुकेशन पॉलिसी के सवाल पर पीएम ने कहा कि यह न्यू नहीं नेशनल एजुकेशन पॉलिसी है, जो व्यक्तित्व के विकास पर जोर दे रही है। ज्ञान के भंडार से ज्यादा जरूरी स्किल डेवलपमेंट है। हमने इस तरह का खाका बनाया है, जिसमें अगर पढ़ाई के बीच में आपको मन ना लगे, तो आप छोड़ कर दूसरा कोर्स भी कर सकते हैं। हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको इन्वॉल्व नहीं करेंगे, तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे। पीएम ने कहा कि खेले बिना कोई खिल नहीं सकता। किताबों में जो हम पढ़ते हैं, उसे आसानी से खेल के मैदान से सीखा जा सकता है।

मां-बाप की कमी है, जो बच्चों के सपनों को नहीं समझते

पीएम ने मां-बाप को बच्चों की सिचुएशन समझने के सवाल के जवाब में कहा कि मां-बाप जो अपने जीवन में करना चाहते थे, उसे बच्चों पर लागू करना चाहते हैं। माता-पिता आज के दौर में अपनी महत्वाकांक्षा और सपने को बच्चों पर थोपने की कोशिश करते हैं। दूसरी बात टीचर भी अपने स्कूल का उदाहरण देकर उस पर दबाव बनाते हैं। हम बच्चों के स्किल को समझने की कोशिश नहीं करते हैं, जिससे कई बार बच्चे लड़खड़ा जाते हैं।

पीएम ने कहा कि पुराने जमाने में शिक्षक का परिवार से संपर्क रहता था। परिवार अपने बच्चों के लिए क्या सोचते हैं उससे शिक्षक परिचित होते थे। शिक्षक क्या करते हैं, उससे परिजन परिचित होते थे। यानी शिक्षा चाहे स्कूल में चलती हो या घर में, हर कोई एक ही प्लेटफार्म पर होता था।

पीएम ने कहा कि हर बच्चे की अपनी एक विशेषता होती है। परिजनों के, शिक्षकों के तराजू में वो फिट हो या न हो, लेकिन ईश्वर ने उसे किसी न किसी विशेष ताकत के साथ भेजा है। ये मां-बाप की कमी है कि आप उसकी सामर्थ को, उसके सपनों को समझ नहीं पा रहे हैं। इससे आपकी बच्चों से दूरी भी बढ़ने लगती है।

हताशा की असली वजह जानें

पीएम मोदी ने मोटिवेशन के सवाल के जवाब में कहा कि मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन नहीं होता है। कोई फॉर्मूला नहीं होता है। आप खुद देखें कि कौन सी ऐसी चीज है, जिससे आप डिमोटिवेट हो जाते हैं। अपनी हताशा की असली वजह जानें। किसी पर निर्भर न रहें। अपनी पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों चीजों को समझें। इससे आप अपने आप को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे और किसी दूसरे के मोटिवेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

खुद की परीक्षा लेते रहें, नई दिशा मिलेगी

पीएम ने कहा कि खुद की परीक्षा लें, मेरी किताब एग्जाम वॉरियर्स में लिखा है कि कभी एग्जाम को ही एक चिट्ठी लिख दो- हे डियर एग्जाम मैं इतना सीख कर आया हूं। इतनी तैयारी की है तुम कौन होते हो मेरा मुकाबला करने वाले। मैं तुम्हें नीचे गिराकर दिखा दूंगा। रीप्ले करने की आदत बनाइए। एक दूसरे को सिखाइए।

आप जहां हैं उस पल को जी भरकर जिएं

पढ़ी हुई चीजें एग्जाम हॉल में भूलने के सवाल के जवाब में पीएम ने कहा कि आप यहां बैठे हैं और सोच रहे हैं कि मम्मी घर पर टीवी देख रही होंगी। मतलब आप यहां नहीं हैं, आपका ध्यान कहीं ओर है। ध्यान को सरलता से स्वीकार कीजिए। यह कोई साइंस नहीं है। आप जहां वर्तमान में हैं उस पल को जी भरकर जीने की कोशिश कीजिए। ध्यान बहुत सरल है। आप जिस पल में हैं, उस पल को जीने की कोशिश कीजिए। अगर आप उस पल को जी भरकर जीते हैं तो वो आपकी ताकत बन जाता है। ईश्वर की सबसे बड़ी सौगात वर्तमान है। जो वर्तमान को जान पाता है, जो उसे जी पाता है, उसके लिए भविष्य के लिए कोई प्रश्न नहीं होता है

आपने योग्य बनने के लिए पढ़ा है, तो परिणाम की चिंता न करें

छात्रों के दो एग्जाम होने पर क्या करें सवाल के जवाब में पीएम ने कहा कि मैं नहीं मानता कि हमें परीक्षा के लिए पढ़ना चाहिए, गलती वहीं हो जाती है। मैं इस परीक्षा के लिए पढूंगा, फिर मैं उस परीक्षा के लिए पढूंगा। इसका मतलब हुआ कि आप पढ़ नहीं रहे हैं, आप उन जड़ी-बूटियों को खोज रहे हैं जो आपका काम आसान कर दें। अगर आपने योग्य बनने के लिए पढ़ा है, तो परिणाम की चिंता न करें। इसलिए अपने आप को परीक्षा के लिए तैयार करने में दिमाग खपाने की बजाए, खुद को योग्य, शिक्षित व्यक्ति बनाने के लिए, विषय का मास्टर बनने के लिए हमें मेहनत करनी चाहिए। एक खिलाड़ी जब अभ्यास करता है, तो वो यह नहीं देखता कि तहसील स्तर पर खेलना हैं या जिला स्तर पर खेलना है। वो सिर्फ खेलता है।

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