Devghar News: श्रद्धा, शिव और शक्ति का संगम बाबा बैजनाथ धाम, देवघर में पूरी होती हर मनोकामना, पढ़े पूरी खबर विस्तार से
बाबा बैजनाथ धाम, देवघर: भारत की आस्था का ध्रुवतारा, जहां हर मुराद होती है पूरी

Devghar News: प्रशांत तिवारी देवघर, झारखंड भारतवर्ष की आस्था, श्रद्धा और भक्ति का एक अत्यंत पवित्र केन्द्र है *बाबा बैजनाथ धाम* जिसे “बाबा धाम” और “देवघर” के नाम से भी जाना जाता है, झारखंड राज्य के देवघर जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित **बारह ज्योतिर्लिंगों** में से एक है, और विशेषकर **सावन माह** में यहां भक्तों की अकल्पनीय भीड़ उमड़ती है। देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करने आते हैं।
*पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व**
बाबा बैजनाथ धाम की उत्पत्ति की कथा लंका के राक्षसराज रावण से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि रावण ने शिव को लंका ले जाने की इच्छा से कठोर तप किया। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे एक शिवलिंग प्रदान किया, लेकिन शर्त रखी कि वह उसे कहीं रखे बिना लंका तक ले जाए। रास्ते में रावण ने विश्राम के लिए शिवलिंग एक ब्राह्मण (वास्तव में भगवान विष्णु के अवतार) को दे दिया और जब लौटा तो शिवलिंग वहीं स्थापित हो चुका था। यही शिवलिंग आज बाबा बैजनाथ धाम के रूप में पूजित है।
*मंदिर का स्थापत्य और विशेषता*
बाबा बैजनाथ धाम मंदिर लगभग 72 फीट ऊँचा है और इसकी बनावट नागर स्थापत्य शैली में की गई है। यह मंदिर मुख्यत लाल बलुआ पत्थर से बना है और इसके ऊपर सोने का कलश तथा त्रिशूल है। मंदिर परिसर में कुल 22 मंदिर स्थित हैं
* मुख्य शिवलिंग – बाबा बैजनाथ
* मां पार्वती मंदिर – पति-पत्नी मंदिर साथ-साथ
* कालभैरव, गणेश, विष्णु, काली माता, सूर्य देव आदि के मंदिर
यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहां **शिव और शक्ति (पार्वती माता)** का मंदिर एक साथ जुड़ा हुआ है।
*सावन की कांवड़ यात्रा: आस्था की सबसे लंबी पदयात्रा**
श्रावण माह में इस मंदिर की भव्यता और भक्ति का जो दृश्य होता है, वह अविश्वसनीय है।
हजारों-लाखों की संख्या में कांवड़िये बिहार के सुल्तानगंज से पवित्र गंगा जल लेकर लगभग 105 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। यह पदयात्रा नंगे पांव, बिना विश्राम के पूरी की जाती है और भक्त “बोल बम!” के नारे लगाते हुए बाबा के दरबार पहुंचते हैं।
सावन में यहां रोज़ लगभग 2–3 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, और पूरे महीने में संख्या लगभग 80 लाख से ज्यादा पहुंच जाती है। यह भारत की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में से एक है।
*भक्तों की आस्था और अनोखी परंपराएँ*
* कुछ श्रद्धालु 105 किमी की यात्रा एक ही दिन में पूरी करते हैं, जिसे डाक कांवड़ कहा जाता है।
* कुछ लोग सालों तक हर सावन में बिना नागा बाबा धाम आते हैं, जिसे कांवरिया व्रत कहा जाता है।
* यहां विशेष मान्यता है कि पहली बार जल चढ़ाने से पहले “मनोकामना पत्र” बाबा को चढ़ाया जाता है
*कैसे पहुंचे बाबा धाम, देवघर?*
हवाई मार्ग देवघर एयरपोर्ट (Baba Baidyanath Airport) चालू हो चुका है। दिल्ली, कोलकाता, रांची आदि से सीधी उड़ानें।
रेल मार्ग देवघर जंक्शन प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा है। नई दिल्ली, हावड़ा, रांची, पटना से सीधी ट्रेनें है ।
सड़क मार्ग रांची से (265 km), पटना (320 km), भागलपुर, दुमका, गोड्डा आदि से बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध भी रहती है
*विकसित सुविधाएं और प्रशासनिक व्यवस्था*
यात्रियों के लिए विशाल धर्मशालाएं, टेंट सिटी, मोबाइल अस्पताल, पेयजल, शौचालय, स्नानघर की व्यवस्था।
* हर सावन में झारखंड सरकार और केंद्र सरकार मिलकर सुरक्षा, सफाई और आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था करती है।
* मंदिर में ऑनलाइन दर्शन और आरती बुकिंग की भी सुविधा है।
*आर्थिक और सामाजिक प्रभाव*
बाबा धाम का मेला और यात्रा झारखंड और बिहार की अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव डालता है।
होटल, दुकानें, ट्रांसपोर्ट, पूजा सामग्री विक्रेता, सेवा संस्थान – सभी को रोजगार मिलता है। एक भक्तों ने जानकारी दी कि एक अनुमान के अनुसार श्रावणी मेला से लगभग *500 करोड़ रुपये से अधिक** का आर्थिक लेनदेन होता है।
*निष्कर्षश्रद्धा, सेवा और शक्ति का पावन संगम*
Devghar News: बाबा बैजनाथ धाम केवल एक मंदिर नहीं है, यह आस्था की शक्ति,भक्ति की पराकाष्ठा और संस्कृति की विरासत है। यहां हर धर्म, हर भाषा, हर जाति का व्यक्ति सिर झुकाकर एक ही प्रार्थना करता है –
बाबा, मेरी मनोकामना पूर्ण हो।