रायगढ़

*✍️नो एंट्री में एंट्री का लाखों रुपए का चल रहा खेल,यातायात विभाग अपने किस काम में बिजी है✍️*


 
RGH NEWS प्रशांत तिवारी  शहर का यातायात विभाग लाख दावेकरे कि उसने तीर मार ली है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहती है। 2 दिन पहले ही बिलासपुर रेंज के आईजी काबरा रायगढ़ पहुंचे थे और उन्होंने पुलिस अधिकारियों की बैठक लेकर इस बात को कहा है ट्रैफिक की व्यवस्था शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी दुरुस्त करें। शायद आई जी को रायगढ़ शहर की जमीनी हकीकत
का अंदाजा बहुत हद तक हो चुका है कि यातायात विभाग के अधिकारी अपनी किस प्रकार की ड्यूटी बाजा रहे हैं। आप शहर के चारों ओर एक चक्कर लगाकर जरा देख लीजिए कि यातायात विभाग अपने किस काम में
बिजी है। सड़कों के दोनों तरफ कंडम स्थिति में खड़े वाहन किसका इंतजार कर रहे हैं दुर्घटनाओं का यातायात विभाग का या थानों के पुलिस स्टाफ
का…।आखिर इन वाहनों को सड़कों के किनारे महीनों और सालों से खड़ा कर देने की इजाजत किसने दे दी है।आप शहर के किसी भी सड़क पर चलेंगे तो ऐसे नजारे आपको जगह जगह देखने को मिल जाएंगे। शहर को साफ सुथरा रखने और दुर्घटना मुक्त बनाने की दिशा में यह वाहन अड़ंगा पैदा कर रहे हैं
यातायात विभाग काफी चौकन्ना है यहां जरूरत से ज्यादा अधिकारी भी पदस्थ हैं लेकिन व्यवस्था जस की तस है। शहर के आउटर में भारी वाहनों के गुजरने वाले मार्गों का नजारा तो देखिए यहां यह वाहन ओवरलोड खनिज लेकर बिना तिरपाल ढके बेखौफ होकर दौड़ रहे हैं इन्हें पता है कि महीने में एक बार कुछ जिमेदार लोगों से मिलकर खानापूर्ति कर लेने के बाद अब उन्हें कोई खतरा नहीं है। तिरपाल ढकने, नंबर प्लेट लगाने, बैक लाइट की मरमत करवाने, अपने भारी वाहन के एसेल में लगे हुए फटे टायरों को बदलवाने और उठे हुए एसेल को ठीक ना कराने के एवज में ही यह जिमेदार लोगों से मिलकर उनकी आवभगत करते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो फिर इन सब खूबियों से भरपूर भारी वाहन आपको सड़कों में कैसे दौड़ते हुए मिलते। बिना तिरपाल ढके खनिज परिवहन कर रहे दौड़ रहे वाहन
शहर के कई थाना क्षेत्रों में नो एंट्री टाइम में या टोटल नो एंट्री के दौरान भी भारी वाहनों को गुजरते हुए देखा जा सकता है। यह तो शहर की भोली-भाली जनता है जो इन भारी वाहनों को रोककर जिमेदार अधिकारियों को मौके पर तलब नहीं करती है। एसीडेंट हो जाए तो कैंडल मार्च निकालकर घटना को भूल जाती है और जिमेदार अधिकारियों को माफ कर देती है। वरना अगर रायगढ़ के शहर वासी इतने भोले नहीं होते तो जिमेदार अधिकारियों को इतना मनमाना और लापरवाह नहीं बनने देते।

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