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देश

नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला कोर्ट में किया सरेंडर, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई है 1 साल की सजा

Navjot Singh Sidhu surrenders: कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. कई साल पुराने रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक साल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था. सिद्धू ने आज शुक्रवार को पटियाला कोर्ट में सरेंडर कर दिया है.

34 साल पुराना रोड-रेज मामला

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को एक रोड-रेज की घटना में एक साल की जेल की सजा सुनाई है. इस रोडरेज की घटना में 34 साल पहले एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इससे पहले सिद्धू ने स्वास्थ्य के आधार पर कोर्ट से सरेंडर करने के लिए कुछ और हफ्तों की महोलत का अनुरोध किया था

 

 

सिद्धू ने किया था ट्वीट

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सिद्धू ने ट्वीट किया था कि वह ‘कानून की महानता के आगे नतमस्तक हूं…’  गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू को एक साल के कठोर कारावास की सजा का आदेश सुनाया था. सिद्धू ने हाल ही में राज्य चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पंजाब कांग्रेस प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था.

सरेंडर के लिए वक्त मांगने पर सिद्धू का विरोध

सिद्धू के कोर्ट से सरेंडर के लिए मोहलत मांगने का विरोध करते हुए वकील ने कहा, ’34 साल का मतलब यह नहीं है कि अपराध मर जाता है. अब फैसला सुनाया गया है, वे फिर से तीन-चार सप्ताह चाहते हैं.’ सुप्रीम कोर्ट ने कल 1988 में सिद्धू और उनके दोस्त के साथ विवाद के बाद मारे गए एक व्यक्ति के परिवार की याचिका पर अपना फैसला सुनाया था.

जानें क्या था पूरा मामला

27 दिसंबर 1988 को एक पार्किंग को लेकर सिद्धू की पटियाला निवासी गुरनाम सिंह से बहस हो गई. सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह संधू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को उनकी कार से खींचकर मारा और उन्हें टक्कर मार दी. बाद में उनकी अस्पताल में मौत हो गई. एक चश्मदीद ने सिद्धू पर गुरनाम सिंह के सिर पर वार कर हत्या करने का आरोप लगाया था.

सबूतों के अभाव में कोर्ट ने कर दिया था बरी

सिद्धू को इस मामले में 1999 में एक स्थानीय अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. लेकिन 2006 में हाई कोर्ट ने उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया और तीन साल जेल की सजा सुनाई. सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दायर की थी, जिसने उनकी सजा को कम कर दिया और पूर्व क्रिकेटर को जुर्माना भरने का आदेश देने के बाद मामले को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि घटना 30 साल पुरानी थी और सिद्धू ने हथियार का इस्तेमाल नहीं किया था.

 

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