पिली मक्का से ज्यादा बेहतर मुनाफा और तगड़ी पैदावार देगी ये किस्म, जानिए नाम और खेती का उचित तरीका

पिली मक्का से ज्यादा बेहतर मुनाफा और तगड़ी पैदावार देगी ये किस्म, जानिए नाम और खेती का उचित तरीका, नमस्कार दोस्तों आज हम आपको खेती से रिलेटेड बरसात की जानी-मानी फसल मक्का के बारे में जानकारी देने वाले हैं.दोस्तों ज्यादातर किसान भाई पीले मक्का की ही बुवाई करते हैं. जिससे कि उन्हें कुछ ज्यादा खास मुनाफा नहीं होता है इसलिए हम आपके लिए एक बेहतर किस्म की मक्का की जानकारी लेकर आ गए हैं जिसे अगर आप अपने खेत में लगाते हैं तो आपको तगड़ी पैदावार के बहुत सारा लाभ मिलता है. दोस्तों हम आपको बता दे कि बिहार के कैसे किस है जिन्होंने अपने खेतों में सफेद मक्का की फसल लगाकर बहुत ही धमाकेदार पैदावार प्राप्त करी है. दोस्तों इस मिल्की मक्का भी कहा जाता है जिसका रंग और स्वाद दूध की तरह होता है.
दोस्तों सबसे पहले तो हम आपको बता दे कि इस मक्का की खेती पश्चिम चंपारण जिले के नरक पिया गंज के मूसहवरा गांव में रहने वाले किसान भाई कृषक कमलेश जी करते हैं. दोस्तों कमलेश जी के अनुसार बताया गया की पीले मक्का के बीच 100 से 150 रुपए प्रति किलो बिकता है लेकिन वहीं पर अगर आप सफेद मक्का के बीजों को बेचते हैं तो यह लगभग 3500 प्रति किलो बिक जाता है. वहीं पर अगर हम भुट्टे की बात करते हैं तो पिला बटा आपको ₹50 प्रति किलो और सफेद गुट्टा करीब 400 से ₹500 प्रति किलो बिक जाता है. मतलब अगर आप मिल्की मक्का की बुवाई करते हैं तो आपको हर तरफ से बहुत ही भयंकर लाभ देखने को मिलने वाला है.
पिली मक्का से ज्यादा बेहतर मुनाफा और तगड़ी पैदावार देगी ये किस्म, जानिए नाम और खेती का उचित तरीका
कृषि विज्ञान केंद्र में कार्य कर रहे डॉक्टर धीरू कुमार तिवारी ने बताया है की पीले मक्का के एक पौधे में आपको लगभग 2 से 3 भुट्टे देखने को मिल जाते हैं लेकिन सफेद मक्का में आपको 5 से 6 भुट्टे देखने को मिलता है. साथ ही सफेद मक्का की सहायता से आप कहीं भी तरह के खाद्य उत्पादन भी बना सकते हैं जिसमें की लड्डू हलवा सेवइयां और केक के साथ इडली भी शामिल है. दोस्तों अगर आप इसे बनाकर कोई भी चीज खाते हैं तो आपको बेहद ही पसंद आने वाली है.
दोस्तों किसान भाई कमलेश रंग-बिरंगे फसलों की खेती करने के लिए पूरे बिहार में फेमस है और आपको बता दे की सफेद मक्का को भी इन्होंने ही उगाया है. इन्होंने इस बीच को महाराष्ट्र से 3500 रुपए प्रति किलो से मंगाया था. इन्होंने इसकी खेती करीब एक कट्टे में की और 4 महीने बाद फसल तैयार हुई तो एक कटते महीने 300 किलो सफेद मक्का की उपज हुई. दोस्तों सफेद और पीली मक्का में करो नाइट नाम के रसायन को छोड़कर सब कुछ सामान होता है. बस करो नाइट की वजह से इसमें पीला रंग आ जाता है. साथी आपको बता दे कि जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश और बिहार के साथ राजस्थान जैसे आदिवासी क्षेत्रों में सफेद मक्काको बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है.