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Supreme Court: EVM से डेटा डिलीट न करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिया आदेश..

Supreme Courtसुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अप्रैल में ईवीएम-वीवीपैट को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया था। उसमें चुनाव आयोग के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश थे कि क्या करना है, क्या नहीं और कैसे अगर किसी जगह वोटिंग के डेटा की वेरिफिकेशन की मांग हुई तो उसकी पुष्टि होगी। लेकिन असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि ईवीएम को लेकर शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2024 में जो गाइडलाइंस तय की थी, आयोग उसके हिसाब से काम नहीं कर रहा। उसका स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक नहीं है। अब शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से इस पर जवाब मांगा है। उसने आयोग से ये भी कहा है कि वेरिफिकेशन के वक्त वह न तो ईवीएम का डेटा डिलीट करे और न ही रीलोड करे। शीर्ष अदालत ने वेरिफिकेशन के लिए आयोग की तरफ से तय किए गए 40 हजार रुपये के शुल्क को भी ज्यादा बताया। मामले में अगली सुनवाई अब 3 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी।

ADR की मांग- ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी और सिंबल लोडिंग यूनिट्स की जांच की मिले इजाजत

असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अपनी अर्जी में मांग की है कि ECI इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की बर्न्ट मेमोरी और सिंबल लोडिंग यूनिट्स की जांच की अनुमति दे।

सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को निर्देश

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने आयोग को निर्देश दिया कि वेरिफिकेशन के दौरान EVM का डेटा न तो मिटाएं और न ही रीलोड करें। ADR की अर्जी में कहा गया कि EVM वेरिफिकेशन के लिए ECI का स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) अप्रैल 2024 के EVM-VVPAT केस के फैसले के मुताबिक नहीं है।

वोटिंग के बाद ईवीएम बनाने वाली कंपनी का इंजीनियर मशीन की जांच करे

Supreme Courtसुनवाई के दौरान, CJI ने ECI के वकील से कहा कि अप्रैल 2024 के फैसले में EVM का डेटा मिटाने या रीलोड करने की कोई मंशा नहीं थी। बेंच ने कहा कि उनका सिर्फ ये मतलब था कि वोटिंग के बाद EVM बनाने वाली कंपनी का एक इंजीनियर मशीन की जांच करे।

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