
Retail Inflation जहां एक तरफ GST को लेकर लोगों में खुशी है और आने वाले फेस्टिव सीजन में लोग खरीदारी करने की प्लानिंग कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इस बार CPI के आंकड़े आम आदमी के लिए कुछ खास अच्छे नहीं हैं. भरत की खुदरा महंगाई यानी सामानों की कीमतों में बढ़ोतरी, जुलाई के सबसे कम स्तर 1.55% से बढ़कर अगस्त में 2.07% हो गई है. इसका मतलब ये है कि खावे पीने की चीजें अगस्त में महंगी हो गई हैं. इसकी वजह ये है कि पिछले कुछ महीनों में जो महंगाई कम थी, उसका असर अगस्त में फीका पड़ गया.
भारत सरकार और RBI महंगाई को नियंत्रण में रखने की कोशिश करते रहते हैं. रॉयटर्स के 40 अर्थशास्त्रियों के सर्वे में अनुमान लगाया गया था कि अगस्त में खुदरा महंगाई बढ़कर 2.10% तक पहुंच जाएगी. लेकिन महंगाई अभी भी RBI के 4% के टारगेट से काफी कम है. मतलब महंगाई तो बढ़ी है लेकिन अभी भी नियंत्रण में है.
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क्यों बढ़ी महंगाई?
महंगाई बढ़ने के पीछे मुख्य रूप से सब्जियों, मांस और मछली, तेल, अंडे, और पर्सनल केयर के सामान की कीमतों में बढ़ोतरी का योगदान रहा. इससे साफ होता है कि जब खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ते हैं तो सीधे तौर पर परिवारों के बजट पर असर पड़ता है. सब्जी, मांस, तेल, और अंडे जैसी रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं के महंगे होने से खाने-पीने का खर्चा बढ़ जाता है.
ग्रामीण और शहरी इलाकों में महंगाई का फर्क
ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर अगस्त में 1.69% रही, जो जुलाई की 1.18% से बढ़ी है. वहीं, शहरी क्षेत्रों में महंगाई दर 2.47% तक पहुंच गई, जो जुलाई के 2.10% से ज्यादा है. खाद्य महंगाई की बात करें तो ग्रामीण इलाकों में यह -0.70% और शहरों में -0.58% रही.
Retail Inflationअगस्त में आवास महंगाई थोड़ी कम होकर 3.09% पर आ गई, जबकि शिक्षा महंगाई 3.60% और स्वास्थ्य महंगाई 4.40% पर बनी रही. वहीं परिवहन और संचार के खर्चे में भी कमी आई है. फ्यूल और लाइट इनफ्लेशन दर भी घटकर 2.43% रह गया.