मनोरंजन

Raid 2 Review: अजय देवगन और रितेश देशमुख की फिल्म Raid 2 हुआ रिलीज, यहां पढ़ें रिव्यू…

Raid 2 Review कुछ फिल्मों का इतना गहरा प्रभाव होता है कि इसके दूसरे पार्ट से बड़ी उम्मीदें बंध जाती हैं। ऐसे में बेहतर यही रहता है कि इन क्लासिक फिल्मों के नए पार्ट न बनाए जाएं। क्योंकि हर फिल्म ‘हेरा फेरी’ फ्रेंचाइजी नहीं बन सकती। ‘रेड 2’ के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। अजय देवगन एक बार फिर आईआरएस अधिकारी अमय पटनायक के रूप में वापस लौटे हैं। इस बार फिल्म में नए तेवर और अंदाज में रितेश देशमुख हैं। पूरी फिल्म में सबसे ज्यादा तारीफ के हकदार भी रितेश देशमुख ही हैं। अजय देवगन की कहानी में कुछ ट्विस्ट जरूर हैं, लेकिन वो काफी लेट आ रहे हैं और तब तक दर्शकों को बांधे रखने के लिए मेकर्स के पास पुरानी वाली कहानी का प्रभाव ही है। पिछले पार्ट का इंपैक्ट इतना गहरा रहा कि नई कहानी से भी कुछ नए और बेहत की उम्मीदें थीं, इस पर पानी जरूर फिर जाता अगर फिल्म में दमदार एक्टर्स की टोली न होती तो। चलिए शुरू करते हैं इस थ्रिलर की कहानी के साथ।

कहानी

 

अमय पटनायक को धैर्य और हिम्मत आईआरएस अधिकारी के तौर पर पहले ही पहचान मिल चुकी है। इस बार बड़ा दां खेला गया और इसके साथ ही भ्रष्टाचार भी पहले से गहरा है। इस बार अमय के सामने नया प्रतिपक्षी है- दादा मनोहर भाई। इस किरदार को रितेश देशमुख ने निभाया है। दोनों के बीच की भिड़त करारी है। कहानी आईआरएस अधिकारी अमय पटनायक से शुरू होती है, जिनकी ईमानदार छवि जगजाहिर है, लेकिन वो अविश्वास और भ्रष्ट के खेल में उलझता है। बार-बार उसके ट्रांसफर होते रहे, लेकिन इस बार उसके ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। इन आरोपों के बीच ही वो अपने 75वें और अब तक के सबसे कठिन मामले की तफतीश में लगता है। इस बार उसके सामने शक्तिशाली और भ्रष्ट दादा भाई (रितेश देशमुख) है, जिसे उसने निशाना बनाया है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती है, पटनायक धोखे और राजनीतिक प्रभाव के जाल में फंसता है, जिससे एक रोमांचक आमना-सामना होता है।

Read more Cg News: आत्मसमर्पित माओवादियों को मिल रहा रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण

 

जहां पहली फिल्म सस्पेंस, रियलिज्म और लॉजिक पर आधारित थी, वहीं रेड 2 ने नाटकीय रास्ता चुना है। इसमें राजनीतिक सत्ता के खेल, परिवार के बीच का तालमेल और एक हैरत में डालने वाला मोड़ शामिल है जो खेल को बीच में ही पलट देता है। धन, सोना, जमीन, भ्रष्ट फाइलों के साथ ही दादा भाई की चुनौती कहानी में रोमांच जोड़ती है। सत्ता के दुरुपयोग को उजागर करने में अमय की कोशिश पूरी कहानी को कुछ नए पहलू देती है और यही इसका मुख्य आकर्षण है। कई हिस्सों में कहानी बिखरी हुई लगती है तो वहीं कुछ हिस्सों में ज्यादा ही ड्रामा है जिसे और बेहतर किया जा सकता था। कहानी को बांधने पर इस बार फोकस कम रहा है। शानदार किरदारों का सही इस्तेमाल जरूर किया गया, लेकिन कहानी को प्रभावी बनाने पर फोकस हटता दिखा।

 

 

 

अभिनय

 

अजय देवगन, आयकर विभाग के डिप्टी कमिश्नर, आईआरएस अमय पटनायक के रूप में पहले ही अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। ऐसे में उनके लिए इस किरदार में ढलना चुनौतीपूर्ण नहीं पहा है। संयमित और प्रभावशाली अभिनय से एक बार फिर उन्होंने पुरानी वाली गहरी छाप छोड़ी है। उन्हें एक बार इस किरदार में देखना किसी ट्रीट से कम नहीं है। ये कहा जा सकता है कि अमय पटनायक का किरदार उनके लिए ही बना है। रितेश देशमुख असल में इस फिल्म की जान है। वो जिस भी सीन में नजर आते हैं अपने दुर्लभ नकारात्मक प्रभाव से दिल जीत लेते हैं। रितेश के लिए इस तरह का किरदार नया है और वो पहली बार इस तरह की भूमिका में नजर आए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने शानदार काम किया है। वैसे कुछ हिस्सों में उनके धमकी भरे डायलॉग काफी ड्रैमेटिक रखे गए हैं, लेकिन इसमें उनका कोई कसूर नहीं है।

 

वाणी कपूर को कम ही सक्रीन स्पेस मिला है, लेकिन उसमें भी वो अच्छा प्रदर्शन करती नजर आई हैं। फिल्म में सौरभ शुक्ला भी हैं। वो कहानी को गहराई देते हैं और उन्हें देखकर पुरानी यांदे जरूर ताजा हो जाती हैं, लेकिन इस बार वो स्टोरीलाइन के केंद्र में नहीं हैं, वो पूरी तरह से एक साइड कैरेक्टर ही हैं। सुप्रिया पाठक को एक अहम किरदार मिला है, लेकिन वो ज्यादातर क्षणों में ओवरएक्टिंग करती ही नजर आईं, जिसकी उनके जैसे शानदार कलाकार से उम्मीद कम ही है। उनकी इस खराब एक्टिंग से शक्तिशाली दृश्यों का प्रभाव कम हो गया है। अमय के सहयोगी के रूप में अमित सियाल छा गए गए हैं। वो फिल्म में असल हीरो बनकर उभरे हैं। केसरी 2 वाला असर इस फिल्म में भी वो दिखाने में कामयाब रहे हैं। कहानी में एक बड़ा मोड़ भी उनके जरिए ही आता है

 

निर्देशन

 

पहली फिल्म में निर्देशन ही हीरो था, लेकिन इस बार निर्देशन कुछ खास प्रभावित नहीं कर सका है। निर्देशन ही एक ऐसी चीज है जो कहानी को गहराई, कलाकारों को निखारने और दर्शकों को बांधे रखने में सबसे कारगर भूमिका निभाता है। राज कुमार गुप्ता द्वारा निर्देशित दूसरे पार्ट की शुरुआत में जो गिरावट देखने को मिलती है, उसके अलावा गाने भी फिल्म की गति को बाधित करते हैं। फिल्म की कहानी में कोई मूल्य जोड़ने के बजाय वे इसके प्रवाह को बाधित करते हैं। एडिटिंग भी और बंधी हुआ और बेहतर हो सकती थी। पहला हाल्फ काफी स्लो है और कहानी में थ्रिलिंग मोड़ तब आता है जब कहानी दूसरे हिस्से में पहुंचती है। थोड़ी और गति कहानी को शुरुआती हिस्सों में बोरिंग होने से बचा सकती थी।

 

पूरी तरह से शानदार कलाकारों का अभिनय ही फिल्म की जान है। अजय देवगन और रितेश ने फिल्म को ठोस आधार दिया है। दोनों एक्टर्स के बीच की खींचतान एंगेजिंग है। सौरभ शुक्ला को कहानी में लाना पुरानी यादों से जोड़ता है जो एक अलग असर छोड़ता है। तमन्ना भाटिया का गाना फिल्म में न भी होता तो कोई नुकसान नहीं होने वाला था।

कैसी है फिल्म

 

Raid 2 Reviewकुल मिलाकर रेड 2 पहले पार्ट से तो बेहतर नहीं है। फिल्म की कहानी में कई खामियां हैं, लेकिन अजय देवगन और रितेश का काम शानदार है और यही इसे देखने लायक बना रहे हैं। फिल्म को एक बार जरूर देखा जा सकता है, ये एक मनोरंजक फिल्म हैं, जिसमें कई पल आपको हंसाएंगे भी। हां कहानी जरूर थोड़ी स्लो है, लेकिन इसे एक ट्राई दिया जा सकता है। हम इसे 3 स्टार दे रहे हैं।

Related Articles

Back to top button