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किसानो की जेब ठसाठस भर देगी अरहर की खेती का यूनिक तरीका,जाने टिप्स

किसानो की जेब ठसाठस भर देगी अरहर की खेती का यूनिक तरीका,जाने टिप्स

किसानो की जेब ठसाठस भर देगी अरहर की खेती का यूनिक तरीका,जाने टिप्स अरहर की खेती कुछ इस प्रकार से करे ताकि किसानो को ज्यादा मुनाफा हो किसान अच्छी पैदावार प्राप्त कर सके अरहर की सब्जी खाने में भी स्वादिस्ट होती है और ये शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता तो आगे जानने के लीये अंत तक बने रहे

अरहर की खेती किस मिट्टी में करे

लेकिन अच्छी पैदावार लेने के लिए कुछ बातों का खास ध्यान रखना होता है. अगर खेत में खाद, बीज और बीमारियों का सही प्रबंधन किया जाए तो किसान अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. अरहर की खेती के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि अच्छी पैदावार के लिए इसकी खेती दोमट मिट्टी वाली जमीन में करें, जिसमें पानी निकलने की अच्छी व्यवस्था हो.

किसानो की जेब ठसाठस भर देगी अरहर की खेती का यूनिक तरीका,जाने टिप्स

अरहर की जुताई इस प्रकार करे

अरहर की पैदावार बढ़ाने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना होता है. अरहर की बुवाई करने के लिए सबसे पहले खेत की तैयारी पर ध्यान देना चाहिए. बारिश शुरू होते ही खेत की दो से तीन बार अच्छी जुताई कर देनी चाहिए. पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए. इसके बाद देशी हल से जुताई करनी चाहिए. साथ ही बुवाई के समय खेत में प्रति हेक्टेयर पांच टन सड़ी गोबर की खाद डालकर अच्छी तरह से खेत में मिला देना चाहिए. अरहर की खेती ऊंची भूमि में की जाती है.

अरहर की बुआई का सही समय

अरहर की अच्छी पैदावार के लिए सही समय पर इसकी बुवाई करना जरूरी होता है. अच्छी पैदावार के लिए किसानों को इसकी बुवाई जून के मध्य से जुलाई के मध्य तक कर देनी चाहिए. इसकी बुवाई 20 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की दर से करनी चाहिए. बुवाई से पहले बीजों का उपचार जरूर कर लेना चाहिए ताकि बीज बीमारी रहित हो और पौधों की अच्छी बढ़वार हो सके. बुवाई से पहले बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना फायदेमंद होता है.

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अरहर की पैदावार के लिए खेत में खाद की सही मात्रा

अरहर की अच्छी पैदावार के लिए खेत में खाद की सही मात्रा का विशेष ध्यान रखना होता है. खेत की तैयारी करते समय, अंतिम जुताई के समय, 12 किलो यूरिया, 100 किलो डीएपी और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालना चाहिए. अरहर की उन्नत किस्मों की बात करें तो आप बीरसा अरहर-1, बहार, लक्ष्मी, आईसीपीएल-87119, नरेंद्र अरहर-1, नरेंद्र अरहर-2, मालवीय-13, एनटीएल-2 जैसी किस्मों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

अरहर की खेती में कई तरह के फली छेदक कीड़े लग जाते हैं. इससे इसकी पैदावार में भारी कमी आ जाती है. इसके नियंत्रण के लिए दो-तीन बार कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए.पहला छिड़काव इंडोस्कॉर्ब 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर करना चाहिए. इसका छिड़काव फल निकलने के समय करना चाहिए. दूसरा छिड़काव मोनोक्रोटोफॉस से 15 दिन बाद करना चाहिए. इसके अलावा अरहर की फसल विल्ट रोग से भी प्रभावित होती है. इसलिए खेत से रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर फेंक देना चाहिए.

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