Janmashtami 2025: आज देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, यहां जानें पूजा मुहूर्त, आरती, मंत्र, पूजा विधि और सामग्री…

Janmashtami 2025 भगवान श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि रोहिणी नक्षत्र एवं वृष लग्न में हुआ था। इसी कारण से भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव प्रत्येक वर्ष भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ विश्व भर में मनाई जाती है । संसार मे अधर्मियो, पापियों ,दुष्टों का संहार करने एवं धर्म की स्थापना के लिए त्रिदेवों को किसी न किसी रूप में हस्तक्षेप करना ही पड़ता है । इसी कार्य के निमित्त जगत के पालन हार श्री हरि विष्णु ने मानव अवतार लिया श्रीकृष्ण के रूप में । इस अवतार में भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी को कंश और जालंधर जैसे पापी से मुक्ति दिलाई। वही रास रचाकर जगत में प्रेम-सौहार्द ,मित्रता, धर्म, स्नेह, त्याग का कीर्तिमान स्थापित किया। भगवान श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में यह अवतार लिया । भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि को रोहिणी नक्षत्र के शुभ संयोग में पूरे विश्व के साथ हम सब भारत वासी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव प्रत्येक वर्ष मानते है।
गृहस्थों एवं वैष्णवों के लिए अलग-अलग जन्माष्टमी क्यों
मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव गृहस्थों एवं वैष्णव जनों द्वारा अलग-अलग मनाई जाती है। गृहस्थों के लिए अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र का शुभ संयोग होना आवश्यक माना जाता है। जबकि वैष्णव जनों के लिए उदयकालिक अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र का मिलना विशेष माना जाता है।
कब से लगी है तिथि और रोहिणी नक्षत्र कब से
भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि का आरंभ 15 अगस्त दिन शुक्रवार को रात में 12:58 से हो गया है जो 16 अगस्त दिन शनिवार को रात में 10:30 तक ही व्याप्त रहेगा। उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी। इस प्रकार अष्टमी तिथि में भरणी नक्षत्र 15 अगस्त को दिन में 9:58 से आरंभ होगा। जो 16 अगस्त दिन शनिवार को सुबह दिन में 9:08 तक व्याप्त रहेगा। उसके बाद संपूर्ण दिन एवं संपूर्ण रात सहित 17 की सुबह 6:26 बजे तक कृतिका नक्षत्र व्याप्त रहेगी। उसके बाद रोहिणी नक्षत्र आरम्भ होगा अर्थात जब अष्टमी तिथि है तब तक रोहिणी नक्षत्र नहीं मिल रहा है। रोहिणी नक्षत्र का आरंभ ही नवमी तिथि में हो रही है। इस प्रकार अष्टमी तिथि में रोहिणी नक्षत्र नहीं मिल रहा है।
उदयकाल में आज है जन्माष्टमी
इस कारण से उदय कालिक मान्यताओं को प्रधानता देते हुए श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व अष्टमी तिथि 16 अगस्त को किया जाएगा यद्यपि की रोहिणी नक्षत्र का अनुसरण करने वाले वैष्णव जन जन्माष्टमी का व्रत 17 अगस्त को करेंगे इस प्रकार इस वर्ष जन्म श्री कृष्ण जन्माष्टमी में तिथि एवं नक्षत्र का शुभ संयोग एक साथ नहीं मिल रहा है।
कृतिका नक्षत्र-16 अगस्त के दिन 8:08 बजे से
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ – 17 अगस्त 2025 को सुबह 6:26 बजे
व्रत का पारण कब करेंगे-17 अगस्त को सुबह 5.51 मिनट पर सुबह
निशिता पूजा टाइम 17 अगस्त 12.04 रात से 12.47 रात तक
पंचामृत स्नान टाइम-12.25 रात को
Janmashtami Shubh Yog: जन्माष्टमी पर बन रहे हैं 6 शुभ संयोग
Janmashtami 2025आज कृष्ण जन्माष्टमी पर ग्रहों से लेकर नक्षत्र के अच्छे संयोग बन रहे हैं, सूर्य बुध का बुधरादित्य योग बन रहा है। आज के दिन अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे विशेष शुभ संयोग बन रहे हैं, जिन्हें हर कार्य की सफलता के लिए फलदायी माना जाता है। वृद्धि योग, ध्रुव योग, श्रीवत्स योग, गजलक्ष्मी योग, ध्वांक्ष योग भी इस पर्व के महत्व को बढ़ा रहे हैं।


