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ITR Filing 2025; Income Tax नियमों में बड़ा बदलाव, अब ITR-1, ITR-4 भरना हुआ बहत आसान, यहां जानें पूरी डिटेल्स..

ITR Filing 2025 इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आकलन वर्ष (Assessment Year) 2025-26 के लिए आईटीआर-1 और आईटीआर-4 के लिए एक्सेल सुविधा उपलब्ध करा दी है, जिससे टैक्सपेयर अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकेंगे। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इससे जुड़ी जानकारी शेयर की थी। इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने के साथ टैक्सपेयर 2024-25 में जनरेट की गई इनकम के लिए अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करना शुरू कर सकते हैं। बताते चलें कि वित्त वर्ष 2024-25 और आकलन वर्ष 2025-26 के लिए 30 मई से आईटीआर फाइलिंग शुरू हो गई है।

 

किन टैक्सपेयर्स को भरना होता है आईटीआर-1 और आईटीआर-4

सीबीडीटी ने पिछले महीने मई के आखिर में आईटीआर-1 और आईटीआर-4 में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दिया था। आईटीआर-1 और आईटीआर-4 फॉर्म ऐसे व्यक्ति, एचयूएफ और संस्थाएं भरते हैं, जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये तक है और जिन्हें अपने खातों का ऑडिट नहीं करवाना पड़ता। लिस्टेड शेयर से 1.25 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पाने वाले व्यक्ति इस इनकम को आईटीआर-1 और आईटीआर-4 में दिखा सकते हैं। इससे पहले उन्हें आईटीआर-2 फॉर्म भी भरना पड़ता था।

आई-टी डिपार्टमेंट ने नोटिफाई किया था आईटीआर-यू फॉर्म

बताते चलें कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अभी हाल ही में टैक्सपेयर्स को आकलन वर्ष के आखिर से चार साल के लिए अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की अनुमति देने वाले आईटीआर-यू फॉर्म को नोटिफाई कर दिया है। वित्त अधिनियम, 2025 ने प्रासंगिक आकलन वर्ष के अंत से अपडेटेड रिटर्न (आईटीआर-यू) फॉर्म फाइल करने की डेडलाइन को 24 महीने से बढ़ाकर 48 महीने कर दिया था। उसी प्रावधान को ध्यान में रखते हुए ये बदलाव किया गया है।

 

आईटीआर-यू फॉर्म के लिए कितना देना होता है एक्स्ट्रा टैक्स

ITR Filing 2025इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नोटिफिकेशन के मुताबिक, संबंधित आकलन वर्ष के अंत से 12 महीने और 24 महीने के भीतर दाखिल किए गए आईटीआर-यू फॉर्म के लिए क्रमशः 25 प्रतिशत और 50 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैक्स का भुगतान करना होगा। वहीं, 36 महीने और 48 महीने के भीतर दाखिल किए गए आईटीआर-यू के लिए टैक्सपेयर को क्रमशः 60 प्रतिशत और 70 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैक्स का भुगतान करना होगा। पिछले तीन सालों में इस तरह के करीब 90 लाख रिटर्न दाखिल किए गए हैं। इस तरह टैक्सपेयर्स से 8500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व जुटाया गया।

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