बरसात के मौसम में तगड़ी पैदावार और बम्पर मुनाफे के लिए करिये सोयाबीन की खेती, जानिए बेस्ट वैरायटी

बरसात के मौसम में तगड़ी पैदावार और बम्पर मुनाफे के लिए करिये सोयाबीन की खेती, जानिए बेस्ट वैरायटी , दोस्तों आपको तो पता ही है की बरसात का सीजन बहुत ही नजदीक आ रहा है और अब बहुत से लोग अपने खेतों की तैयारी में जुट गए हैं. इसलिए हम आज किसान भाइयों के लिए खरीफ सीजन में बोई जाने वाली मुख्य फसल सोयाबीन की खेती की जानकारी लेकर आए हैं. दोस्तों आज हम आपको सोयाबीन की तीन ऐसी वैरायटी के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि आपको इस सीजन में बहुत ही अच्छा मुनाफा देने वाली है और इसकी खास बात यह है कि यह कम वर्ष में भी आपको अच्छी पैदावार देने में सक्षम होती है.
दोस्तों इस लिस्ट की पहली वैरायटी है आरवीएसएम 11–35 , दोस्तों इस वैरायटी को राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है और यह बहुत ही खास प्रकार की वैरायटी है. दोस्तों इसकी खास बात यह है कि इसमें आपको पिला मुझे एक वायरस एवं चारकोल रोड एवं जड़ सड़न जैसी बीमारियां नहीं लगती. इसी के साथ इसकी क्षमता 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की अपार क्षमता है. साथी यहां आपको अधिकतम 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन दे सकती हैं. वहीं पर दूसरी बार आपको बता दे कि इसकी अवधि 94 से 96 दिन की होती है जो कि अधिक वर्षा और देर तक वर्षा की स्थिति में भी जमीन में अच्छे से अपने आप को मैनेज करती हैं.
बरसात के मौसम में तगड़ी पैदावार और बम्पर मुनाफे के लिए करिये सोयाबीन की खेती, जानिए बेस्ट वैरायटी
दोस्तों इस लिस्ट की दूसरी किस्म है जे एस 93–05 , दोस्तों अभी हाल ही में इसकी जानकारी मिली है कि यह किस्म 335 के तुलना में एक सप्ताह पहले ही तैयार हो जाती है. अरे इसकी खासियत की तो आपको बता दे कि यह वर्ल्ड रंग गहरा पीला आकर्षक और चमकदार होता है जिसके 100 दानों का वजन 12 से 13 ग्राम होता है. इसकी पत्तियां हरी नुकीली और फूलों का रंग बैंगनी होता है जो की 30 से 35 दिन में आ जाते हैं और इसमें पर लगभग 55 दिनों के अंदर ही फलिया आ जाती हैं. इसमें फली चटकाने की समस्या नहीं आती है और पौधे की ऊंचाई अच्छी होने के कारण हार्वेस्टर से कतई भी कर सकते हैं. इसके ऊपर क्षमता 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है इसमें थोड़ा बहुत हल्का सा उतार चढ़ाव हो सकता है.
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दोस्तों अब आती है लास्ट किस्मत जेएस 2172, दोस्तों यह किस में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के द्वारा विकसित की गई है. दोस्तों यह अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में काफी उपयुक्त मानी जाती है और इसका पौधा मध्यम ऊंचाई वाला और फैलावदार होता है. इसमें रोगों से लड़ने की क्षमता भी बहुत अधिक होती है और बॉय के समय आपको इस 16 से 18 इंच की दूरी पर होना चाहिए और प्रति हेक्टेयर में 80 किलो बीज का उपयोग करना चाहिए. यह किस्मत 94 से 95 दिनों में आ जाती है और लगभग 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन दे देती है साथिया आपको अधिकतम 30 से 35 क्विंटल का भी उत्पादन दे सकती है.