Crude Oil Prices: भारत में जल्द सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल, इस वजह से कीमतों में हो सकती है कटौती

Crude Oil Prices ओपेक+ अगस्त के महीने से तेल की सप्लाई बढ़ाने जा रहा है. इसके 8 सदस्यों ने कच्चे तेल की सप्लाई 548,000 बैरल प्रतिदिन बढ़ाने पर सहमति जताई है. इससे पहले ओपेक ने मई, जून और जुलाई में क्रूड ऑयल की सप्लाई में 411,000 बैरल की बढ़ोतरी की घोषणा की थी. ओपेक+ के इस फैसले का मकसद बढ़ती मांग को पूरा करने के साथ-साथ कच्चे तेल की कीमतों में कमी लाना है.
ओपेको इस फैसले का असर दुनिया भर के बाजारों में देखने को मिलेगा. भारत में भी तेल की कीमतें कम हो सकती हैं. भारत अपनी तेल की जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है और ओपेक इसका एक प्रमुख सप्लायर है. हाल ही में ओपेक+ में शामिल देशों ने अगस्त से पहले अपना प्रोडक्शन बढ़ाने का फैसला लिया.
भारत को होगा खूब फायदा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अचानक तेल का प्रोडक्शन बढ़ने से कीमतों में और कमी आ सकती है. इससे भारत में भी पेट्रोल, डीजल और दूसरे पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की कीमतों में भी राहत मिल सकती है. अब जाहिर सी बात है कि तेल की कीमतें कम होंगी, तो इसका फायदा देश की आम जनता को मिलेगा. इसका असर ट्रांसपोर्ट और रोजमर्रा की चीजों की कीमतों पर पड़ेगा. इससे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो सकती है, क्योंकि आयात बिल में कमी आएगी.
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क्या है ओपेक और ओपेक+?
Crude Oil PricesOPEC (ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) पेट्रोलियम का एक्सपोर्ट करने वाले 14 देशों का एक संगठन है, जिनमें सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत, वेनेजुएला, लीबिया, इंडोनेशिया, कतर, अल्जीरिया, नाइजीरिया, यूएई, इक्वैटोरियल गुआना, कांगो, अंगोला, इक्वैडोर और गैबॉन शामिल हैं. इसकी स्थापना 1960 में हुई थी. वहीं, ओपेक+ में इन 14 सदस्यीय देशों के अलावा अजरबैजान, कजाकिस्तान, मलेशिया, रूस, मैक्सिको, ओमान और सूडान जैसे गैर-ओपेक देश शामिल हैं. इसका गठन 2016 में हुआ