मनोरंजन

Akshay Kumar Ad: दो पैसे से ‘पैडमैन’ भाभी को जिंदगी देते हैं, और भैया को 5 रु के गुटखे से मौत!

Akshay Kumar Ad: सच में. हम एक ऐसी दुनिया में जी रह रहे हैं जहां क्या सही है क्या गलत है, कौन सही है और कौन गलत है- इसकी ना तो कोई सार्वभौमिक परिभाषा है और ना ही व्याख्या. इसे हर जगह देखा जा सकता है. हर जगह मतलब- हर जगह. सोसायटी, पॉलिटिक्स, सिनेमा, बिजनसे सब जगह. कोई नजर नहीं आता जिसे आदर्श कह सकें. उदाहरण के लिए अक्षय कुमार को ही लीजिए. वे फिलहाल एक गुटखा विज्ञापन की वजह से जबरदस्त चर्चा में हैं. लोग अक्षय के विरोधाभास को लेकर कुछ दिनों से खुलकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं और काफी बुरा-भला लिख रहे हैं. अक्षय का विरोधाभास लोगों को नाराजगी जाहिर करने और बुरा भला कहने का हक़ देता है.

अक्षय गुटखे का विज्ञापन करने वाले नए नहीं हैं. उदाहरण के लिए वे जिस ब्रांड का विज्ञापन कर रहे हैं उसमें पहले से ही बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता नजर आ रहे हैं. अजय देवगन ना जाने कितने महीनों से बोले जुबां केसरी का जयगान करते सुने जा रहे हैं. जबकि उनके कोरस को कुछ महीने पहले ही शाहरुख खान ने भी जॉइन कर लिया था. सलमान खान ने भी एक गुटखा ब्रांड का छद्म विज्ञापन किया था.

अमिताभ बच्चन भी एक ब्रांड में इसी कोरस का हिस्सा बनते दिख रहे थे. मगर लोगों को भनक लगी तो “दो बूँद जिंदगी की” पिलाने के लिए पोलियो महामंत्र देने महानायक पर गुस्सों का अंबार बरस पड़ा और उन्होंने पहले हिप्पोक्रेसी के तहत सफाई देने की कोशिश की. बात बनती नहीं दिखी तो शायद गलती मानकर सुधारने की कोशिश की.

अक्षय कुमार का विज्ञापन. फोटो- यूट्यूब पर विज्ञापन से साभार.

अजय और शाहरुख का भी विरोध हुआ. मगर ऐसी वजहें नहीं मिली कि लोग उनके विरोधाभास को लेकर बहस करते. पर अक्षय का कारोबारी मन पैसों के लालच में शिकार बन गया. असल में अक्षय के तीखे विरोध की वजह के पीछे उनकी समाज सुधारक ‘पैडमैन’ की छवि है. भारत में अक्षय सैनिटरी कैम्पेन का एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं. निश्चित ही ग्रामीण और कस्बाई भारत में सिनेमा के माध्यम से उन्होंने माहवारी के दौरान तमाम तरह की मुसीबतों का सामना करने वाली महिलाओं का जीवन बचाने के लिए जरूरी और बड़ा आंदोलन खड़ा करके दिखाया है.

सैनिटरी कैम्पेन के लिए अक्षय आंदोलनकारी से कम नहीं, पर एक विज्ञापन से सब तबाह कर दिया

अक्षय की वजह से आज की तारीख में छोटे-छोटे गांवों और कस्बों में भी माहवारी के लिए सैनिटरी कैम्पेन के असर को देखा समझा जा सकता है. पहले अक्षय की फिल्म ने सामजिक टैबू को घर और समाज का एक जरूरी विषय बनाया और बाद में सैनिटरी नैपकिन के लिए उनका विज्ञापन लोगों को जागरुक करता दिखा. अक्षय के सैनिटरी विज्ञापन में एक और चीज थी. धूम्रपान और तम्बाकू सेवन का भी बड़ा मैसेज निकल कर सामने आया.

सैनिटरी कैम्पेन के विज्ञापन में सिगरेट पी रहे एक कस्बाई पुरुष को अक्षय समझाते दिखते हैं- “हीरोगिरी फू फू करने में नहीं.” अक्षय समझाते हैं कि दिन में दो सिगरेट फू फू करके कोई जितना पैसे बर्बाद करता है उतने में वह अपनी पत्नी के लिए सैनिटरी पैड खरीद कर उसके जीवन को कई बीमारियों से सुरक्षित बना सकता है. लेकिन जैसे ही अक्षय ने जुबां केसरी क्लब में अजय और शाहरुख के साथ जुड़ना पसंद किया, आलोचनाओं की बौछार होने लगी. वाकई धूम्रपान और तम्बाकू इस्तेमाल को लेकर इसे अक्षय का विरोधाभास ना कहा जाए तो क्या कहें?

गुटखे का सेवन देश में प्राय: तम्बाकू के साथ ही किया जाता है. हालांकि कुछा साल पहले आए तम्बाकू कानूनों की वजह से अब गुटखा कंपनियां तम्बाकू और गुटखे को अलग-अलग ब्रांड के रूप में बेचती हैं. गुटखों का विज्ञापन भी छद्म होता है. असल में कहने को गुटखे का कोई ब्रांड अम्बेसडर सादा पान मसाला बेच रहा होता है, मगर सच्चाई यह है कि वह तम्बाकू पान मसाले को ही बेचता दिखता है. यानी अक्षय एक विज्ञापन में जिस चीज को गलत बताते सुने जा रहे थे दूसरे में उसी को प्रमोट कर रहे हैं. पानमसाला और तम्बाकू देश में मुंह के कैंसर जैसी घातक बीमारी की बहुत बड़ी वजह है.

Related Articles

Back to top button