PM मोदी ने खरीदा प्रधानमंत्री संग्रहालय का पहला टिकट

PM Narendra Modi inaugurate Pradhanmantri Sangrahalaya: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (14 अप्रैल) को आंबेडकर जयंती के अवसर पर राजधानी दिल्ली के तीन मूर्ति भवन परिसर में देश के प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक नवनिर्मित संग्रहालय का उद्घाटन किया. इस संग्रहालय का उद्घाटन आजादी के 75 साल के उपलक्ष्य में देश भर में मनाए जा रहे ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के दौरान किया गया है. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के मुताबिक, मोदी की परिकल्पना से मार्गदर्शित यह संग्रहालय देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान के प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि है.
पीएम मोदी ने खुद खरीदा संग्रहालय का पहला टिकट
देश के प्रधानमंत्रियों को समर्पित संग्रहालय का दौरा करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ में पहला टिकट (Pradhanmantri Sangrahalaya Ticket) खरीदा और उसके बाद एंट्री ली.
#WATCH | Delhi: Prime Minister Narendra Modi buys the first ticket at 'Pradhanmantri Sangrahalaya' as he visits the museum dedicated to the country's Prime Ministers since Independence
(Source: PMO) pic.twitter.com/yhPeJGR8md
— ANI (@ANI) April 14, 2022
प्रधानमंत्री संग्रहालय में क्या है खास?
प्रधानमंत्री संग्रहालय (Pradhanmantri Sangrahalaya) देश के प्रधानमंत्रियों के जीवन और योगदान के जरिए आजादी के बाद के भारत की कहानी बयां करता है. यह संग्रहालय आजादी के बाद देश के प्रत्येक प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि है, चाहे उनका कार्यकाल जो भी रहा हो और चाहे उनकी जो भी विचारधारा रही हो.
ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ! न्यायिक अधिकारियों के बड़े पैमाने पर ट्रांसफर, 127 सिविल जजों पोस्टिंग आदेश जारी
परियोजना को लेकर एक भी पेड़ नहीं काटा गया
PM Narendra Modi inaugurate Pradhanmantri Sangrahalaya: प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने कहा कि इस संग्रहालय में पुराने और नए का निर्बाध मिश्रण है. पूर्ववर्ती तीन मूर्ति भवन को ब्लॉक वन और नवनिर्मित इमारत को ब्लॉक टू के रूप में विकसित किया गया है. दोनों ब्लॉकों का कुल क्षेत्र 15,600 वर्ग मीटर है. इस संग्रहालय में कुल 43 दीर्घाएं हैं. पीएमओ के मुताबिक, ‘संग्रहालय का निर्माण उभरते भारत और इसके नेताओं द्वारा उसे दिए गए आकार की कहानी से प्रेरित है. इसके डिजायन में टिकाऊ और ऊर्जा संरक्षण प्रथाओं का ध्यान रखा गया है. परियोजना के दौरान एक भी पेड़ नहीं गिरा और ना ही कोई प्रतिरोपित किया गया.