धर्म

Chhath Puja 2025: आज दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य, यहां जानें संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Chhath Puja 2025  (छठ पूजा संध्या अर्घ्य समय): आज छठ पर्व का तीसरा दिन है और इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। जिसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है (Sandhya Arghya Time)। इस अर्घ्य को देने के लिए व्रतधारी सूर्यास्त से पहले किसी नदी या घाट पर पहुंचते हैं। फिर वहां पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है (Surya Arghya Time)। इस पूजा के लिए बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना, धूप, अगरबत्ती, हल्दी और कई अन्य सामग्री रखी जाती है। संध्या अर्घ्य के बाद व्रती उषा अर्घ्य की तैयारी करते हैं। छठ पर्व में सूर्योदय के समय अर्पित किए जाने वाले अर्घ्य को उषा अर्घ्य कहा जाता है। चलिए जानते हैं इस साल छठ पर्व का संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य (Usha Arghya Time 2025) का समय क्या रहने वाला है।

 

Read more Rashifal 2025: सप्ताह का पहला दिन इन पांच राशि वालों के लिए रहेगा शुभ, पढ़िए 12राशियों का राशिफल

 

छठ पूजा संध्या अर्घ्य समय 2025 (Chhath Puja Sandhya Arghya Time 2025)

छठ पूजा संध्या अर्घ्य समय 27 अक्टूबर 2025 की शाम 5 बजकर 10 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 48 मिनट तक रहने वाला है।

 

छठ पूजा उषा अर्घ्य समय 2025 (Chhath Puja Usha Arghya Time 2025)

छठ पूजा उषा अर्घ्य समय 28 अक्टूबर 2025 की सुबह 6 बजे से 6 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।

 

छठ पूजा संध्या अर्घ्य विधि (Chhath Puja Sandhya Arghya Vidhi)

संध्या अर्घ्य के लिए व्रती साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर पूरे परिवार के साथ घाट या जलाशय पर जाते हैं।

एक बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना, दीया और अन्य प्रसाद रखा जाता है।

सूर्य देव के अस्त होने से पहले व्रती जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

साथ ही अर्घ्य देते समय “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप किया जाता है और छठ गीत गाए जाते हैं।

अर्घ्य के बाद व्रती सूर्य व छठी मइया से सुख-समृद्धि, संतान सुख और स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं।

 

छठ पर्व के नियम

Chhath Puja 2025व्रतधारी को छठ व्रत के दौरान शुद्धता का विशेष रूप से पालन करना चाहिए। छठ पूजा के दौरान केवल शुद्ध सात्विक भोजन ही किया जाता है। व्रती के द्वारा बनाए गए भोजन में गंगाजल का उपयोग किया जाता है और इसे मिट्टी या कांसे के बर्तनों में पकाया जाता है। छठ पूजा का सबसे कठिन नियम निर्जला व्रत है। इस व्रत में 36 घंटों तक अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता। इस व्रत में व्रतधारी को नदी, तालाब, या किसी स्वच्छ जलाशय में स्नान करना अनिवार्य होता है। यह स्नान शरीर और मन की शुद्धि के लिए किया जाता है। संध्या और उषा अर्घ्य के समय भी जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।

 

Related Articles

Back to top button