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Bihar Election 2025: देशभर में जल्द लागू होगा SIR, चुनाव आयोग वोटर लिस्ट का करेगी रिवीजन…

Bihar Election 2025 बिहार से शुरू हुआ विशेष गहन पुनरीक्षण अब पूरे देश में लागू होने की संभावना है. 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से ग्रीन सिग्नल मिलते ही इसे देशभर में लागू कर दिया जाएगा. यह भारत में रह रहे विदेशी अवैध नागरिकों को देश से बाहर निकालने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा. बिहार के लिए वोटर लिस्ट को अपडेट करने के लिए एक जनवरी 2003 की कट ऑफ डेट मानी गई है.

विधि विशेषज्ञों के मुताबिक चुनाव आयोग संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत मतदाता सूची को शुद्ध कर सकता है. यह अनुच्छेद वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनावों की गारंटी देता है. इसके अनुसार वोटर भारत का हर वह नागरिक, जो 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र का हो और सामान्य रूप से किसी निर्वाचन क्षेत्र में निवास करता हो, मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने का हकदार है. कुछ शर्तें भी हैं जैसे यदि कोई व्यक्ति गैर-निवासी है, मानसिक रूप से अस्थिर है या अपराध, भ्रष्टाचार या अवैध कार्यों के कारण अयोग्य घोषित किया गया है तो उसे मतदान का अधिकार नहीं मिलेगा.

 

दरअसल यह अनुच्छेद यह सुनिश्चित करता है कि सभी पात्र नागरिकों को निष्पक्ष और समान रूप से वोट देने का अधिकार मिले. ऐसे में आयोग विदेशी, मृत, डबल वोटिंग समेत अन्य विभिन्न स्थितियों के आधार पर मतदाता सूची में सुधार के लिए पुनरीक्षण कराता है.

 

रहा सवाल एसआईआर का तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21 आयोग को मतदाता सूची तैयार करने और संशोधित करने का अधिकार देती है. इसमें दर्ज कारणों के साथ विशेष संशोधन करना भी शामिल है. यह संशोधन जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में शुरू किए जा सकते हैं. निर्धारित माह, अवधि और चुनाव के करीब पुनरीक्षण कराए जाने के पीछे कई कारण हैं. नए वोटर को जोड़ने, फर्जी और मृत वोटर को सूची से बाहर करने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाती है.

 

2003 में भी हो चुका है इस प्रकार का निरीक्षण

ऐसा नहीं है कि पहली बार यह प्रक्रिया निभाई जा रही है. बिहार में इस किस्म का गहन पुनरीक्षण 2003 में हुआ था. उस समय मतदाताओं की संख्या लगभग 3 करोड़ थी, जिसे 31 दिन में अंजाम दिया गया था. मौजूदा गहन पुनरीक्षण में ‘विशेष’ शब्द शामिल किया गया. इसमें आधार, ईपीआईसी और राशन कार्ड को वैकल्पिक तौर पर रखा गया. क्योंकि कानूनी तौर तीनों ही नागरिकता स्पष्ट नहीं करते. ईपीआईसी तो चुनाव आयोग बिहार में एसआईआर के लिए मुहैया कराए जा रहे फॉर्म में छपा हुआ दे रहा है. सत्यापन में निवास प्रमाण पत्र, वंशावली, जन्म प्रमाण पत्र समेत 11 में से एक दस्तावेज मुहैया कराना है. विधि विशेषज्ञों की मानें तो अनुच्छेद 326 में यह स्पष्ट है कि भारत का नागरिक ही चुनाव में मतदान कर सकता है. ऐसे में आयोग नागरिकता नहीं जांच रहा है, बल्कि मतदाता योग्य है या अयोग्य यह परख कर रहा है। अगर विस्थापित या अवैध विदेशी नागरिक भारत की चुनावी प्रक्रिया में शामिल होने का प्रयास करेंगे तो आयोग की इस प्रक्रिया में पकड़े जाएंगे। लेकिन इसे एनआरसी इसलिए नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसमें वही विदेशी नजर में आएंगे जो देश की चुनावी प्रक्रिया को अशुद्ध करने की मंशा रखते हैं, वो नहीं जो दूर हैं.

 

वोटर लिस्ट में कई तरह की समस्याएं आईं सामने

चुनाव आयोग के सूत्रों का कहना है कि देशभर में अलग-अलग राज्यों से वोटर लिस्ट में कई तरह की समस्याएं सामने आयी हैं. ऐसे में पूरे देश की मतदाता सूची को नए सिरे से तैयार किया जाएगा, ताकि हर राज्य की वोटर लिस्ट में सिर्फ योग्य वोटर ही रह सके. असली वोटर ही रह सके. अगर कोई वास्तविक मतदाता है और किसी भी कारण से वह सूची में नहीं है तो उसे चुनाव आयोग हर हाल में शामिल करेगा. पूरी प्रक्रिया कानून के मुताबिक है, अगर कोई छूट गया या किसी आशंका की वजह से मतदाता सूची से बाहर किया गया तो उसे अपील का अधिकार है. आयोग के तहत कार्य कर रहे क्षेत्रीय प्रशासन के सर्वोच्च अधिकारी के फैसले पर आपत्ति होने की स्थिति में न्यायपालिका जाने का अधिकार है. अगर गलती से किसी का नाम कट भी जाएगा तो वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट पब्लिकेशन करने के बाद उन्हें अपील का अवसर दिया जाएगा. इसके बाद जांच करके अगर किसी वास्तविक वोटर का नाम वोटर लिस्ट से कट भी गया है तो उसका नाम फिर से वोटर लिस्ट में जोड़ दिया जाएगा.

 

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वोटर लिस्ट को अपडेट करने के लिए 2003 की कट ऑफ डेट ली गई है

बिहार के लिए वोटर लिस्ट को अपडेट करने के लिए एक जनवरी 2003 की कट ऑफ डेट मानी गई है. इससे पहले इस तिथि तक ही बिहार को वोटर लिस्ट के लिए एसआईआर किया जा रहा है. इसी तरह से दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत देश के बाकी अन्य तमाम राज्यों में भी एसआईआर के लिए कट ऑफ डेट रखी जाएगी. जिस भी राज्य में 2001,2002, 2003 या 2004 के अलावा भी जिस साल में इस तरह का गहन पुनरीक्षण हुआ होगा. उस डेट को कट ऑफ डेट माना जाएगा.

 

Bihar Election 2025इस कट ऑफ डेट का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इस तिथि तक जिसका भी नाम वोटर लिस्ट में शामिल होगा. उसे देश का नागरिक मानते हुए आगे वोटर लिस्ट को अपडेट करते वक्त उसका नाम जोड़ लिया जाएगा और उससे कोई दस्तावेज भी नहीं मांगे जाएंगे. जबकि इस कट ऑफ डेट के बाद जितने भी लोगों के नाम वोटर लिस्ट में जुड़े होंगे या नया वोटर बनेगा. उन सभी से जन्म तिथि और जन्म स्थान से संबंधित दस्तावेज मांगे जाएंगे.

 

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