घंटों Instagram रील्स देखने की है लत? हो सकते हैं माइग्रेन-डिप्रेशन के सीकर..

Reels Addiction: आजकल रील्स स्क्रोल करना दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया है। ऐसा एक भी दिन नहीं होता है जब आप रील्स स्क्रोल ना करें। आप मोबाइल की स्क्रीन में वीडियो पर वीडियो और रील्स पर रील्स देखकर थक जाते हैं, लेकिन आदत से इतने मजबूर हो चुके हैं कि आप फिर भी टाइमपास करने के लिए रील्स स्क्रोल करने लगते हैं। आपको इस आदत को बदलने की बहुत जरूरत है, क्योंकि साइंस में इस समस्या को एक बीमारी का नाम दिया जा चुका है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च के अनुसार, रील्स देखने और बनाने की आदत होने वाले लोग मास साइकोजेनिक इलनेस यानी MPI के मरीज हो सकते हैं।
बात करते समय टांगें हिलाते रहते हैं MPI के मरीज
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च के मुताबिक, जरूरत से ज्यादा वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर रहने वाले लोगों में मास साइकोजेनिक इलनेस (MPI) के लक्षण देखे जा सकते हैं। ऐसे लोग अक्सर दूसरों के सामने बातचीत करते समय टांगें हिलाते रहते हैं। ये एक तरह का हाइपर एक्टिव रिस्पॉन्स होता है।
फोकस नहीं कर पाने की समस्या
इसके अलावा आपने अक्सर देखा होगा कि ज्यादातर लोग किसी वीडियो को लंबे समय तक नहीं देख पाते हैं। ये लोग दो से तीन मिनट में एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे वीडियो पर चले जाते हैं। लगातार ऐसा करते रहने से इंसान का दिमाग किसी भी चीज पर फोकस नहीं करने का आदी हो जाता है और हमेशा बेचैन रहने लगता है।
Reels Addiction से पनप रहीं माइग्रेन जैसी बीमारियां
सोशल मीडिया पर अपने फॉलोअर्स की संख्या बढ़ाने की होड़ में युवा डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट पर कम कमेंट्स और लाइक्स आने से भी युवा डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। यह समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि इसके कारण युवाओं में नींद की कमी, सिरदर्द और माइग्रेन जैसी कई बीमारियां पनप रही हैं।
मोबाइल स्क्रीन की रोशनी से बढ़ रही सिरदर्द और थकान की समस्या
हर कोई जानता है कि 6-7 इंच की स्क्रीन में तेज लाइट में देर तक रहने से लोगों में सिरदर्द और थकान की समस्या बढ़ रही है। माइग्रेन के मरीजों को तो डॉक्टर रोशनी से दूर रहने की सलाह देते हैं। मोबाइल की रोशनी भी उसमें शामिल है। लगातार झुक कर मोबाइल की स्क्रीन देखते रहने से गर्दन और कमर का दर्द बढ़ जाता है।
युवाओं में बढ़ रही मानसिक समस्याएं
सोशल मीडिया की लत युवाओं में मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं। इसके कारण युवाओं में डिप्रेशन, सिरदर्द, माइग्रेन और अन्य कई मानसिक समस्याएं पनप रही हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया की लत युवाओं को अपने लक्ष्यों से दूर कर रही है और उन्हें अपने जीवन के उद्देश्यों को प्राप्त करने से रोक रही है।
Reels Addiction का क्या है कारण?
Reels Addictionगुजरात के अहमदाबाद की इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी में पिछले साल रील्स देखने की आदत पर एक रिसर्च की गई थी। इस सर्वे में 540 लोगों को शामिल किया गया। जिनकी उम्र 18 से 36 साल के बीच थी। रिसर्च का मकसद ये जानना था कि लोग वीडियो पर इतना समय आखिर क्यों लगा रहे हैं। इस रिसर्च के मुताबिक रील्स बनाने से लोगों का मनोरंजन होता है और रील्स देखने वालों का भी अच्छा टाइम पास हो जाता है। रिसर्च में ऐसे लोगों की संख्या 85.5 फीसद तक पाई गई।