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बिजनेस

Building Material Price Hike: आसमान छू रही बिल्डिंग मटेरियल की कीमत….रेत, ईंट समेत इन सभी चीज़ो के दाम बढे

Building Material Price Hike : छत्तीसगढ़ में बिल्डिंग मटेरियल की कीमत आसमान छू रही है। महज एक महीने के भीतर बिल्डिंग मटेरियल की कीमतों में 33 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। इससे आम आदमी पिस रहा है। एक तो बिल्डिंग मटेरियल की कीमत आसमान छू रही है, ऊपर से ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल का असर है कि वो सामान भी नहीं मिल रहा है। कांग्रेस ने इसके लिए सरकार पर हमला बोल दिया है, और कहा है कि चुनावी वादों की मार जनता पर पड़ रही है। वहीं भाजपा का कहना है कि कीमत जल्द काबू में होगी।

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रेत, ईंट समेत इन मटेरियल्स की कीमत बढ़ी

बता दें कि, महज एक महीने पहले तक खुले बाजार में घर बनाने की रेत 12 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट पर मिल जा रही थी। यानी एक हजार सक्वेयर फीट रेत 12 हजार रुपए में मिल जाया करती थी, लेकिन वही रेत 22 हजार रुपए तक मिल रही है। लाल ईंट की कीमत भी उछाल पर है। पहले 5500 रुपए में एक हजार मिल रही थी। उसी के लिए अभी 6700 रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं। गिट्टी की कीमत भी प्रति सक्वेयर फीट 5 से 6 रुपए बढ़ चुकी है। इन सबके बीच सीमेंट की कीमत भी उछाल मारने को तैयार है। बाजार में खुलेआम चर्चा है कि प्रति बोरी 20 से 25 रुपए की कीमत कभी भी बढ़ सकती है। इसका मतलब है घर बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरुरी ईंट, गिट्टी, रेती और सीमेंट की कीमत में औसतन 33 फीसदी से ज्यादा उछाल आ चुका है। ये कीमत आम आदमी कमर तोड़ने के लिए काफी है।

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बिल्डिंग मटेरियल की बढ़ती कीमतों को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोल दिया है। उसका आरोप है कि चुनावी वादों को पूरा करने के लिए महंगाई बढ़ाई जा रही है, ताकि जनता की जेब से पैसा निकाला जा सके। हालांकि, सत्ताधारी पार्टी के नेता इस पर जल्द काबू पाने की बात कह रहे हैं।

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खुद का घर बनाने में पीस रहा मीडिल क्लास इंसान

Building Material Price Hike : दरअसल, मीडिल क्लास घर बनाने में अभी बुरी तरह पिस रहा है. पिछले हफ्ते ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल के चलते बिल्डिंग मैटेरियल की सप्लाई पूरी तरह से ठप हो गई। हड़ताल खत्म हुई तो भी सभी ड्राइवर काम पर नहीं लौटे, और अब कल से फिर से हड़ताल की बात हो रही है। उधर, रायपुर के आसपास की 15 रेत घाटें अब भी पूरी तरह से खुली नहीं हैं। ईंट भट्टों मेंसभी मजदूर नहीं पहुंच पाए हैं, क्योंकि पहले चुनाव, फिर धान कटाई और अब बोनस और धान बेचने का मौसम हैं। उपर से, दिसंबर में हुई बारिश ने ईंट भट्ठों का भारी नुकसान किया। आलम ये हैं कि मुंहमांगी कीमत पर भी लोगों को ईंट, रेत, गिट्टी नहीं मिल रही। चार-पांच दिनों तक ऑर्डर पेंडिंग हो रहे हैं। कुल मिलाकर मिडिल क्लास परिवार खुद के आशियाना बनाने के सपने में बुरी तरह पीस रहा है। पहले तो मटेरिएल नहीं मिल रहा, जो मिल रहा है उसकी मुहमांगी कीमत मांगी जा रही है।

 

 

 

 

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