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*✍️ALERT: आपके लिए है एक जरुरी खबर…. अगर आपके पास भी है एक से ज्यादा बैंक अकाउंट तो जाने इससे क्या है नुकसान…पढ़े पूरी खबर….*

नई दिल्ली: आम लोगों के लिए जरूरी खबर है। अगर आपका भी एक से ज्यादा बैंक अकाउंट है तो आपका बड़ी आर्थिक नुकसान हो रहा है। यह आर्थिक नुकसान ऐसा होता है कि आपको पता भी नहीं चल पाता और धीरे-धीरे आपके खाते से रकम कम होने लगी है। आर्थिक विशेषज्ञों की मानें तो अगर बहुत जरूरत न हो तो एक से अधिक बैंक अकाउंट न रखें। यानी मल्टीपल बैंक अकाउंट से आपको कई तरह का नुकसान होता है। ये ऐसे आर्थिक नुकसान होते हैं जिसका पता तक नहीं चल पाता।दरअसल हर बैंक का अपना अलग-अलग मेंटिनेंस चार्ज, डेबिट कार्ड चार्ज, SMS चार्ज, सर्विस चार्ज, मिनिमम बैलेंस चार्ज होता है।

आपके जितने बैंकों में खाते होंगे आपको हर बैंक को इस तरह के शुल्क देने होते हैं और बैंक समय-समय पर इसे आपके खाते से काटते भी रहता है। ऐसे में अगर आपको बहुत जरूर नहीं है तो एक ही बैंक खात रखें और उसी के जरिए अपने तामम ट्रांजेक्शन करें। अगर बहुत जरूरी नहीं है तो गैर जरूरी खाते को तत्काल बंद कराने की कोशिश करें।

सबसे ज्यादा दिक्कत खाते में मिनिमम बैलेंस को लेकर है। गलती से अगर आप इसे मेंटेन नहीं कर पाते हैं तो आपको हर महीने बेवजह सैकड़ों रुपए चुकाने पड़ते हैं। प्राइवेट बैंकों में ये चार्जेज भी काफी है। इतना ही नहीं इसका असर आपके सिबिल स्कोर पर भी असर पड़ता है। आपको बता दें कि आज की तारीख में सिबिल स्कोर (CIBIL Score) काफी महत्वपूर्ण हो गया है। इसी के आधार पर बैंक लोगों को लोन देता है। सिबिल खराब या फिर कम होने पर या आपको लोन नहीं मिल पाता है या फिर मिलता भी है तो महंगे दर पर।

इतना ही नहीं अगर आपने अपने किसी किसी सेविंग अकाउंट या करंट अकाउंट में एक साल तक किसी तरह की लेन-देन नहीं की है तो वह खाता इनएक्टिव बैंक अकाउंट में बदल जाता है जो दो सालों तक ट्रांजैक्शन नहीं होने पर वह डोरमंट खाता या फिर इनऑपरेटिव खातें तब्दिल हो जाता है। जानकारों का कहना है कि इन एक्टिव अकाउंट के साथ इंटर्नल और एक्सटर्नल फ्रॉड के चांसेज सबसे ज्यादा होते हैं।

टैक्स एक्सपर्ट्स की मानें तो एक से अधिक बैंक अकाउंट होने पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में दिक्कत होती है। अलग-अलग बैंकों में खाते रहने कैलकुलेशन गलती की पूरी संभावना रहती है। और कैलकुलेशन में गलती होने पर टैक्स विभाग आपको नोटिस भेज देता है। जिसका आपके समुचित जवाब देने में परेशानी होती है। इन्हीं समस्याओं देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने पिछले बजट में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए नए सिस्टम की घोषणा की थी।

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