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रायगढ़ न्यूज़ (समाचार)

बेसिक पुलिसिंग पर ध्यान देना ही प्राथमिकता है दीपक मिश्रा की…..एक नजर CSP दीपक मिश्रा,जाने क्या कहते हैं नगर पुलिस अधीक्षक….

CSP दीपक मिश्रा रायगढ़, 2 जून। बेसिक पुलिसिंग को फोकस कर कानून व्यवस्था बनाना ही प्राथमिकता है। वहीं, पब्लिक और पुलिस के बीच मधुर संबंध बनने से ही अपराध का आंकड़ा कम हो सकता है। ऐसे में तुंहर पुलिस-तुंहर द्वार और जनचौपाल जैसे सोशल अभियान से सामाजिक समरसता का सुदृढ़ होना वाकई में शुभ संकेत है। यह कहना है धरमजयगढ़ के एसडीओपी और नगर पुलिस अधीक्षक का प्रभार सम्हाल रहे दीपक मिश्रा का।
महासमुंद के सेवानिवृत्त सहायक उपनिरीक्षक चन्दबदन मिश्रा और श्रीमती शीला मिश्रा के घर 2 दिसम्बर 1990 को जन्म लेने वाले दीपक की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा सराईपाली के सरस्वती शिशु मंदिर से हुई। सराईपाली के जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा छठवीं के बाद सातवीं से दसवीं तक सेंट्रल स्कूल महासमुंद में पढ़ाई की। फिर, दीपक घर से बाहर विशाखापत्तनम में गणित विषय लेकर ग्यारहवीं एवं बारहवीं के बाद छत्तीसगढ़ वापस आए और बीटीआई दुर्ग से कंप्यूटर साइंस (2008-12) का कोर्स किया। चूंकि, दीपक ब्राम्हण परिवार के सदस्य हैं इसलिए घरेलू धार्मिक वातावरण का गहरा असर होने पर ये वर्तमान में हाईटेक फील्ड में होने के बावजूद सादा जीवन-उच्च विचार को प्राथमिकता देते हुए आडम्बर से दूर रहते हैं।

*केंद्रीय विद्यालय में संविदा शिक्षक के रूप में सफर हुआ शुरू*

महासमुंद के जिस सेंट्रल स्कूल में दीपक कभी छात्र थे, 2013 में वे उसी विद्यालय में संविदा शिक्षक के रूप में गए और स्टूडेंट्स को ज्ञान की रोशनी से आलोकित किया। साथ ही बिलासपुर में पीएससी की तैयारी करते हुए एक्जाम भी दिलाया। इस बीच 2014 मे केनरा बैंक में प्रोवेशनरी ऑफिसर (पीओ) की ज्वॉइन करने वाले दीपक 2016 तक जोनल ऑफिस रायपुर में सेवारत रहे। वहीं, फरवरी 2016 में पीएससी एक्जाम में कामयाबी के बुलंद झंडे गाड़ने वाले दीपक डीएसपी के तौर पर सलेक्ट हुए तो चंदखुरी पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग हुई। फिर, 2017 में परिवीक्षाधीन में फील्ड के लिए सरगुजा जिले में रहे।

*कोंडागांव में बने एंटी नक्सल ऑपरेशन इंचार्ज*

अक्टूबर 2018 में दीपक मिश्रा की पहली पदस्थापना कोंडागांव में नक्सल ऑपरेशन डीएसपी के रूप में हुई। एंटी नक्सल ऑपरेशन इंचार्ज के तौर पर दीपक के कार्यकाल में विधानसभा और लोकसभा चुनाव संपन्न हुआ। नक्सल समस्या से जूझ रहे कोंडागांव क्षेत्र में सड़क और टॉवर सुविधा तक नहीं थी। ऐसे विषम परिस्थिति में पुलिस ने पूरी रणनीति के तहत उपस्वास्थ्य केंद्र और स्कूल खोलते हुए लोगों के जेहन से नक्सलियों का खौफ कम किया। यही नहीं, यहां एसपी रहे सिद्धार्थ तिवारी की टीम के साथ दीपक का नक्सलियों से 6-7 बार मुठभेड़ भी हुआ। तकरीबन 25 नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया तो उनके कई कैम्प भी ध्वस्त हुए। इस दौरान ईस्ट बस्तर डिवीजन के डीबीसी रैंक के कमांडर वर्गीस को हलाक करते हुए केशकाल बॉर्डर में भी 2 नक्सलियों की लाश, 5 वेपन और नक्सली समान बरामदगी जैसी उल्लेखनीय सफलता के दीपक साक्षी हैं।

*डीएसपी निकिता तिवारी हैं हमसफर*

अगस्त 2021 में धरमजयगढ़ के अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) के तौर पर रायगढ़ जिले में सेवारत दीपक की डिपार्टमेंटल एक्टिविटी को देख पुलिस कप्तान अभिषेक मीणा ने इनको जिला मुख्यालय में सीएसपी का भी अतिरिक्त प्रभार दे रखा है। ऐसे में विगत 20 मई से दीपक रायगढ़ सीएसपी का कामकाज भी देख रहे हैं। खाकी वर्दी के प्रति विशेष मोह रखने वाले दीपक ने 17 जनवरी 2019 में अपनी बैचमेट निकिता तिवारी का हाथ ताउम्र के लिए थामते हुए उनके साथ शादी की। निकिता तिवारी मिश्रा वर्तमान में रायगढ़ में डीएसपी हैं। यही नहीं, दीपक और निकिता के खुशहाल दाम्पत्य जीवन में 29 दिसम्बर 2021 को शाम्भवी नाम की एक ऐसी खूबसूरत बिटिया का आगमन हुआ, जिसकी किलकारी से तिवारी फैमिली की बगिया गुलजार है।

*धर्म-कर्म को काफी मानते हैं दीपक*

खाकी वर्दी की आन-बान और शान बढ़ाने वाले दीपक मिश्रा का शौक हैंडबॉल और परिवार के साथ वक्त गुजारना है। धार्मिक कार्यक्रमों में खुद को संतुष्ट पाने वाले दीपक के रोल मॉडल कोई और नहीं, बल्कि उनके पापा चंदबदन मिश्रा ही हैं। छत्तीसगढ़ी व्यंजन ईढ़हर और कड़ी-चावल इनका फेवरेट डिश है। बॉलीवुड के चरित्र अभिनेता ओमपुरी, अनुपम खेर, परेश रावल और नीना गुप्ता जैसे कलाकारों के अभिनय को सराहने वाले दीपक की जिंदगी का सर्वाधिक खुशी का क्षण बेटी शाम्भवी का जन्म है तो अफसोसजनक लम्हा दादी मां का निधन है। बनावटी और दिखावा करने वाले लोग इनको नापसन्द हैं और स्वदेशी को तरजीह देने वाले शख्स खूब भाते हैं।

*पुलिस कप्तान की कार्यशैली के हैं मुरीद*

पुलिस कप्तान अभिषेक मीणा के सुकमा के कार्यकाल को अतुलनीय मानते हुए दीपक कहते हैं कि नक्सलियों को वहां अपने कदम पीछे खींचने के लिए एसपी मीणा का बेहतर व्यू और निर्णय क्षमता हमेशा बेस्ट होता है। ऐसे में मातहत को भी कम करने में आसानी होती है तो मजा भी आता है। एसपी की जनचौपाल और बीट सिस्टम को धरातल पर लाने में विभागीय अमला पूरी शिद्दत से जुटा है। पुलिस अधीक्षक की कार्यशैली से काफी कुछ सीखने को भी मिलता है जो भविष्य में कारगर होगा।

*आम जनता खुलकर करें पुलिस की मदद*

प्रभारी सीएसपी मिश्रा बताते हैं कि क्राईम का ग्राफ कम करने प्रतिबंधात्मक कार्रवाई हो रही है। अपराध जगत के पुराने और नए खिलाड़ियों को चिन्हित कर उनकी जन्मकुंडली खंगाली जा रही है, ताकि उनके मौजूदा स्थिति के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जा सके। बॉर्डर एरिया में औए बेरियर लगाए जाएंगे, ताकि कोई घटना-दुर्घटना न हो सके। जनचौपाल में पुलिस खासकर जादू-टोना और टोनही प्रताड़ना जैसे अंधविश्वास से जुड़े मसलों से होने वाली वारदातों को रोकने संजीदा है। वही, आम नागरिक भी ईमानदारी से यातायात नियमों का पालन करते हुए दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करे तो सड़क हादसे में कमी जरूर आएगी। साथ ही अभिभावक अपने बच्चों को भी पोक्सो और ट्रैफिक की जानकारी साझा करें।

*पुलिस में नौकरी नहीं करते तो पत्रकार होते*

वैसे तो दीपक को शुरू से ही वर्दी पहनने का शौक है। पुलिस विभाग में सलेक्शन के पहले आर्मी में जाने की तमन्ना थी, लेकिन ये पूरी नहीं हो पाई। आज भले ही दीपक पुलिस प्रशासन के उच्च अधिकारी हैं, मगर ये इस डिपार्टमेंट में नहीं आते तो पत्रकारिता की मशाल थामते हुए आम जनता के हितों की रक्षा के लिए कलम चलाते। बहरहाल, दीपक भी चाहते हैं कि लोग यदि अपने हिस्से की जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करें तो रायगढ़ के सुघ्घर रईगढ़ बनने की परिकल्पना जल्द ही पूरा होगा।

 

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