छत्तीसगढ़ वन कर्मचारियों ने की हड़ताल स्थगित करने की घोषणा

रायपुर : छत्तीसगढ़ वन विभाग के कर्मचारी लगभग एक माह से हड़ताल पर थे. बुधवार को कर्मचारियों ने हड़ताल स्थगित करने की घोषणा की है. अब सभी कर्मचारी काम पर वापस लौटेंगे. वहीं कर्मचारियों का कहना है कि अगर दो महीने के भीतर सरकार उनकी मांगे नहीं मानी तो फिर से आन्दोलन के लिए मजबूर होंगे.
बता दें कि वन कर्मचारियों की हड़ताल पर होने से जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ गई थी. वन्यजीवों से लेकर वनस्पतियों को भी इससे काफी नुकसान पहुंच रहा था. इसलिए राज्य सरकार अब कर्मचारियों पर एस्मा लगाने की तैयारी कर रही थी. बता दें कि प्रदेश भर के करीब दस हजार वन कर्मचारी अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर 21 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे. प्रदेश भर के कर्मचारी अपने-अपने जिला मुख्यालय में धरना दे रहे थे, जबकि वन कर्मचारियों की सात मांग पूरी हो चुकी है. बाकी मांगों को लेकर हड़ताल जारी था. अब हड़ताल स्थगित होने पर कर्मचारी काम पर लौटेंगे.
2 माह में मांगों को पूरा करने की बनी सहमति
छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष मूलचंद शर्मा ने बताया कि मांगों के संदर्भ में शासन से चर्चा हुई है। अधिकांश मांगें पूरी हो गई है। कुछ मांगों के लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी है। शर्मा ने कहा कि एस्मा के डर से हमने हड़ताल वापस नहीं लिया है। शासन स्तर पर दो माह में मांगों को पूरा करने की सहमति बनी है। वन विभाग के सभी कर्मचारी काम पर वापस लौटेंगे। उन्होंने कहा कि मांगें नहीं मानी गई तो कर्मचारी फिर आंदोलन को मजबूर होंगे।
आप भी जानिए क्या है एस्मा
आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है। एस्मा लागू करने से पहले संबंधित या प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य दूसरे माध्यम से सूचित किया जाता है। एस्मा अधिकतम छह महीने के लिए लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दंडनीय अपराध है। वैसे भी वन विभाग आवश्यक सेवाओं में आता है।