कर्मचारी और पेंशनरों के लिए बड़ी खबर…..नया अपडेट आया सामने….जल्द मिलने जा रही खुशखबरी!

MP Employees Pensioners DA/DR Hike : भोपाल। मध्य प्रदेश के 7 लाख कर्मचारियों को जल्द 4% महंगाई भत्ते का तोहफा मिलने वाला है, इसके लेकर तैयारियां शुरू हो गई है, वही दूसरी तरफ साढ़े चार लाख पेंशनरों को अबतक महंगाई राहत का इंतजार है। एमपी के वित्त विभाग ने छत्तीसगढ़ सरकार को DR में वृद्धि के लिए दो बार पत्र भी लिखा लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। वर्तमान में MP के पेंशनरों को 33% DR तो कर्मचारियों को 38% DA का लाभ मिल रहा है, वही केंद्रीय कर्मचारियों को भी 42% DR का लाभ मिल रहा है।
छग सरकार से अनुमति जरूरी
महंगाई राहत में वृद्धि ना होने पर पेंशनरों में नाराजगी बढ़ती जा रही है, इससे हर महीने 400 से 4000 रूपए तक का नुकसान हो रहा है। हालांकि शिवराज सरकार पेंशनरों की DR में 5% वृद्धि का फैसला ले चुकी है और इसके लिए वित्त विभाग ने एक प्रस्ताव बनाकर सहमति के लिए छग सरकार को भी भेजा है, लेकिन अब तक मंजूरी नहीं मिली है। चूंकि राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49(6) की संवैधानिक बाध्यता के कारण छग सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है। राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 के अनुसार राज्य को DR में वृद्धि करने से पूर्व सहमति लेनी होती है, क्योंकि इससे जो आर्थिक भार आता है उसका 74% हिस्सा मध्य प्रदेश और 26% छत्तीसगढ़ वहन करता है। यह प्रविधान अविभाजित मध्य प्रदेश के पेंशनर पर लागू होता है।
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जल्द बढ़ेगा महंगाई भत्ता
खबर है कि मई में राज्य के लाखों अधिकारियों कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 4 फीसदी बढ़ने वाला है। इसको लेकर तैयारियां हो चुकी है। इस फैसले के बाद एमपी के कर्मचारियों का डीए भी केन्द्र के समान 38% से बढ़कर 42% हो जाएगा। इसे 1 जनवरी से लागू किया जा सकता है, ऐसे में 4 महीने का एरियर भी दिया जाएगा। हालांकि अधिकारिक पुष्टि होना बाकी है। इसका लाभ प्रदेश के 7 लाख कर्मचारियों को होगा और सैलरी में बंपर उछाल देखने को मिलेगा।
कांग्रेस ने किया वादा
MP Employees Pensioners DA/DR Hike: आगामी चुनाव से पहले कांग्रेस ने इस मुद्दे को लपक लिया है और प्रदेश कांग्रेस ने पेंशनर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से मुलाकात में वादा किया है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही सबसे पहले पुरानी पेंशन बहाली और पेंशनरों की महंगाई राहत में वृद्धि के लिए छत्तीसगढ़ से सहमति की अनिवार्यता को समाप्त करने का निर्णय लिया जाएगा। वचन पत्र में इन दोनों मांगों को प्राथमिकता दी जाएगी। चूंकि राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 में सहमति लेने का प्रविधान है, हालांकि वर्ष 2017 में केंद्र सरकार कह चुकी है कि दोनों राज्य इसे समाप्त कर सकते हैं लेकिन इसको लेकर अब तक फैसला नहीं हुआ है, ऐसे में पेंशनरों में नाराजगी है।



