कतर ने भारतीय नौसैनिकों की सजा-ए-मौत को कैद में बदला..
Qatar commutes death : कतर में कथित तौर पर जासूसी के आरोपी 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की फांसी की सजा पर वहां की अदालत ने रोक लगा दी है। अब सजा-ए-मौत की जगह इन भारतीयों को जेल में रहना होगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। कतर की कोर्ट ऑफ अपील ने फैसला गुरुवार को सुनाया।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा- फैसले की डीटेल्स का इंतजार है। इसके बाद ही अगले कदम पर विचार किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान भारत के एम्बेसेडर अदालत में मौजूद थे। उनके साथ सभी 8 परिवारों के सदस्य भी थे। भारत ने इसके लिए स्पेशल काउंसिल नियुक्त किए थे। हालांकि, फैसले की विस्तार से जानकारी अभी नहीं दी है।
कतर के अमीर से मिले थे मोदी
दुबई में 4 दिसंबर को COP28 समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कतर के अमीर (चीफ रूलर) शेख तमीम बिन हमाद अल थानी से मिले थे। मुलाकात के बाद मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा था- दुबई में कतर के अमीर से मुलाकात हुई। मैंने उनसे कतर में रहने वाले भारतीय नागरिकों के हालचाल जाने।
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इस मुलाकात पर दुनिया की नजरें थीं। सोशल मीडिया पर मोदी और शेख हमाद की मुलाकात की तस्वीर काफी वायरल हुईं थीं। बाद में मोदी ने सोशल मीडिया पर यही तस्वीर पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा था- दुबई में COP28 समिट से इतर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी से मुलाकात हुई। हमने दोनों देशों के बीच संभावित सहयोग के क्षेत्रों पर विचार किया। मैंने कतर में रहने वाले भारतीयों के हालचाल पूछे।
कतर के पास सबूत नहीं
सूत्रों के मुताबिक कतर की एजेंसियों के पास इस बात के कोई ठोस सबूत नहीं है कि भारत के पूर्व नौसेना अधिकारियों ने इजराइल के लिए जासूसी की। इस बात की पुष्टि पूर्व नेवी कमांडर पूर्णेंदु तिवारी के परिवार ने भी की है। तिवारी को 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान मिला था।
देर रात गिरफ्तारी हुई थी
Qatar commutes death : सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तार किए गए आठ लोगों में एक नाविक भी शामिल है। इन्हें देर रात गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद एक सुरक्षित ठिकाने पर ले जाया गया और सभी से अलग-अलग पूछताछ की गई। पूछताछ का जो तरीका अपनाया गया, वो अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन और गैरकानूनी था।