अब कुत्ताें की नसबंदी के लिए निकाला टेंडर,शहर में 12 हजार से अधिक आवारा कुत्ते

शहर और निगम में शामिल गांवों में 12 हजार से अधिक आवारा कुत्ते हैं, लेकिन निगम ने सिर्फ 2 हजार आवारा कुत्ताें की नसबंदी और रैबीज टीकाकरण के लिए टेंडर निकाला है। निगम 18 लाख में 2 हजार आवारा कुत्ताें की नसबंदी कराएगा। यानी एक आवारा कुत्ते के पीछे नसबंदी में महज 900 रुपए खर्च करेगा।
वर्ष 2017 में निगम ने आवारा कुत्तों की सर्वे किया था, तब 7 हजार आवारा कुत्ते थे, लेकिन अब निगम का दायरा बढ़ गया है। निगम में 3 निकाय और 15 पंचायत भी जुड़ गए हैं। ऐसे में 12 हजार के आसपास आवारा कुत्ते होने का अनुमान है। यदि निगम सारे आवारा कुत्तों की नसबंदी औ टीकाकरण करेगा तो 1 करोड़ से अधिक खर्च होगा, लेकिन निगम के पास फंड नहीं है, इसलिए 2 हजार कुत्तों की नसबंदी के लिए टेंडर निकाला है। कुत्तों की नसबंदी करने के बाद उन्हें उसी स्थान पर छोड़ा जाएगा।
संज्ञान लेकर हाईकोर्ट ने दिए थे निर्देश
सड़कों पर आवारा पशुओं के उन्मुक्त विचरण एवं रायपुर की एक नाबालिग लड़की की मौत के मामले में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए 21 फरवरी 2017 को स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी किया था। पूछा गया था प्रदेश के अस्पतालों में क्या व्यवस्था की गई है।
साथ ही सड़क पर आवारा घूम रहे मवेशियों की रोकथाम एवं आवारा कुत्तों के नसबंदी के लिए शासन स्तर पर उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी भी मांगी गई थी। हाईकोर्ट ने पूर्व में भी सड़क पर घूम रहे आवारा पशुओं के उन्मुक्त विचरण विशेषकर कुत्तों के काटने की लगातार घटनाओं को लेकर चिंता जाहिर की गई थी।
जिला अस्पताल और सिम्स में रोज डाॅग बाइट के 25 मामले
जिला अस्पताल में डाग बाइट के करीब तो सिम्स में लगभग 25 मामले रोज आ रहे हैं। इससे साबित हो गया है कि आवारा कुत्ते अब खतरनाक हो गए हैं। इसलिए इनका टीकाकरण और बधियाकरण जरूरी हो गया है।
5 हजार के टारगेट में 2106 की हुई थी नसबंदी
निगम ने 2017 में 5 हजार आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए टेंडर निकाला था। दुर्ग की संस्था एनिमल वेलफेयर सोसाइटी को टेंडर मिला था। संस्था ने 2017 में 690 की नसबंदी की थी। 2018 में काम पूरा बंद रहा। 2019 में 1416 आवारा कुत्तों का बधियाकरण किया गया। बताया जा रहा है कि निगम ने संस्था को ढाई लाख का भुगतान नहीं किया, इसलिए संस्था ने टारगेट के अनुसार नसबंदी नहीं किया।
हर वार्ड में औसतन 170 कुत्ते
निगम के अनुमान के मुताबिक शहर में अभी 12 हजार के आसपास आवारा कुत्ते हैं। यानी हर वार्ड में औसतन 170 आवारा कुत्ते हैं। कोरोना काल में नसबंदी नहीं होने के कारण इनकी संख्या बढ़ते जा रही है। दिनोंदिन ये आवारा कुत्ते खतरनाक होते जा रहे हैं।
निगम ने ढाई साल तक नहीं कराया बधियाकरण
निगम ने वैसे तो 2017 में आवारा कुत्तों की बधियाकरण के लिए टेंडर किया था, जो 2019 तक चला था। इसके बाद अब 2022 में नसबंदी के लिए टेंडर किया गया है।
मंगाई है फाइल
हेल्थ आफिसर का चार्ज लिए हुए एक ही दिन हुआ है। अमावारा कुत्तों की नसबंदी के लिए टेंडर लगा है। इसकी फाइल मैंने मंगाई है।
-अनुपम तिवारी, हेल्थ ऑफिसर,नगर निगम
2017 में किया गया था टेंडर
2017 में 5 हजार कुत्तों की नसबंदी के लिए टेंडर किया गया था, जो 2019 तक चला था। उस वक्त दुर्ग की संस्था को टेंडर मिला था। उस समय शहर में आवारा कुत्तों की सर्वे की गई थी, तब 7 हजार इनकी संख्या थी। अब शहर के दायरा बढ़ने के साथ इनकी संख्या बढ़ गई होगी।
– डॉ. ओंकार शर्मा, रिटायर्ड हेल्थ आफिसर