अंगूर की खेती करने से आप बन सकते है धन्नासेठ,कम लागत में होंगी बंपर कमाई,जाने इसे करने का सही तरीका
अंगूर की खेती करने से आप बन सकते है धन्नासेठ,कम लागत में होंगी बंपर कमाई
अंगूर की खेती करने से आप बन सकते है धन्नासेठ,कम लागत में होंगी बंपर कमाई,जाने इसे करने का सही तरीका भारत में सबसे ज्यादा अंगूर उगाने वाला राज्य महाराष्ट्र है आगे जानने के लिए हमारे साथ अंत तक बने रहे
अंगूर की खेती करने से आप बन सकते है धन्नासेठ,कम लागत में होंगी बंपर कमाई,जाने इसे करने का सही तरीका
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अंगूर की उन्नत किस्म(improved grape variety)
अंगूर की खेती करने के लिए कई तरह की किस्मे होती है जैसे – अनब-ए-शाही, बंगलौर ब्लू, काली शाहबी, थॉम्पसन सीडलेस, शरद सीडलेस, परलेटी, भोकरी और गुलाबी आदि। लेकिन इन सब में से अनब-ए-शाही अंगूर की खेती सबसे अच्छी होती है। क्योंकि यह स्वाद में काफी मीठा होता है। यह कोमल फफूंदी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
अंगूर की खेती के लिए मिट्टी(Soil for grape cultivation)
वैसे तो अंगूर की खेती कई अलग-अलग तरह की मिट्टी में की जाती है। लेकिन इसकी खेती के लिए जल निकास वाली रेतीली तथा बजरीदार मिट्टी में अच्छी होती है। सामान्यतः 2.5 मीटर गहराई तक की मिट्टी आदर्श मानी जाती है। इसका पीएच मान 6.5 से 8 होना चाहिए। अंगूर की खेती के लिए अधिक चिकनी मिट्टी हानिकारक मानी जाती है इसलिए दोमट मिट्टी आपको अच्छी पैदावार दे सकती है।
अंगूर की खेती के लिए पर्याप्त जलवायु(Adequate climate for grape cultivation)
बढ़ते मौसम के दौरान पर्याप्त धूप, गर्मी और पानी और पर्याप्त ठंड लताओं वाली खेती के लिए उत्तम होती है। ऐसे में, अंगूर की खेती के लिए गर्म शुष्क व वर्षा रहित गर्मी तथा अति ठण्ड वाले सर्दी के मौसम होना चाहिए। अंगूर की खेती में फल पकने के समय अगर बारिश या बादल छाए रहते हैं तो यह अंगूर की पैदावार पर असर डाल सकतें हैं। ऐसे में फलों की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है
अंगूर की खेती करने से आप बन सकते है धन्नासेठ,कम लागत में होंगी बंपर कमाई,जाने इसे करने का सही तरीका
कृषि विज्ञान केंद्रों से ले प्रशिक्षण(Take training from Agricultural Science Centres)
अगर आप अंगूर की खेती की अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप कृषि विज्ञान केंद्रों और कृषि विश्वविद्यालयों में संपर्क करके ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकते है। आपको बता दें, अंगूर कई रोगों और कीटों से प्रभावित हो सकते हैं. इसके लिए किसान भाई समय पर रोगों और कीटों का पता लगाना और उनका उचित नियंत्रण करना जरूरी है।