क्या है होलिका दहन मनाने का महत्व विद्वानो और बड़े बुजुर्गो द्वारा बताया जाता है की हरिण्यकश्यप ने अपनी बहिन के प्रह्लाद को मरने की साजिस की थी। होलिका विष्णु प्रहलात को अपनी गोद में लेकर बैठ गयी जिसके बाद होलिका खुद जलकर भस्म हो गयी और विष्णु भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। तभी से होलिका दहन मनाई जाती है। होलिका दहन की कथा सबसे लोकप्रिय है।
क्या है होलिका दहन मनाने का महत्व
ज्योतिषो द्वारा बताया जा रहा है कि इस होलिका दहन 24 मार्च और होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। यह साल में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होलिका जलाने का यह तात्पर्य है की बुराई पर अच्छाई की जीत मानी जाती है। होलिका दहन करने से पहले इसकी पूजा की जाती है।
होलिका जलाने के बाद इसकी परिक्रमा कर अपने मन की बुराइयों को इसमें अर्पित कर देना चाहिए जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और बुराई का नाश होता है। होलिका दहन जलने का शुभ मुहूर्त रविवार 24 मार्च की रत 11 :15 से है।