भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। दोनों देशों के बीच कृषि उत्पादों पर शुल्क को लेकर मतभेद हैं।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। दोनों देशों के बीच कृषि उत्पादों पर शुल्क को लेकर मतभेद हैं।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। दोनों देशों के बीच कृषि उत्पादों पर शुल्क को लेकर मतभेद हैं।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। दोनों देशों के बीच कृषि उत्पादों पर शुल्क को लेकर मतभेद हैं।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर कई हफ्तों से बातचीत जारी है। 9 जुलाई की डेडलाइन करीब है। दोनों देश एक-दूसरे के सख्त रवैये को देखते हुए समझौते की कोशिश कर रहे हैं।

अमेरिका अपने किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए अपने कृषि और डेयरी उत्पादों को भारत में बेचना चाहता है। वहीं, भारत अपने किसानों को सस्ते अमेरिकी कृषि और डेयरी उत्पादों से बचाना चाहता है।

अगर सस्ते उत्पाद भारत में आते हैं तो कीमतें गिर सकती हैं। इससे भारतीय किसानों को नुकसान हो सकता है। अमेरिकी किसान एक ताकतवर समूह हैं।

भारतीय किसान देश का सबसे बड़ा वोट बैंक हैं। जैसा कि 2020 में विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने से साफ हुआ, सरकार किसानों के विरोध का जोखिम नहीं उठा सकती।

अमेरिका से सस्ते कृषि और डेयरी उत्पादों के आयात से स्थानीय कीमतें गिर सकती हैं। इससे भारतीय किसानों को भारी नुकसान होगा। यह विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका देगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपने देश के किसानों की रक्षा करना आर्थिक और राजनीतिक अनिवार्यता है।

भारत डेयरी और कुछ संवेदनशील कृषि क्षेत्रों में बाजार पहुंच में रियायतें नहीं देगा। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, भारत पशु आहार में उपयोग किए जाने वाले कुछ जीएम-आधारित कृषि उत्पादों जैसे सोयाबीन मील और डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन्स विद सॉल्यूबल्स के आयात पर विचार कर सकता है।