UPI GST Rules 2025: 2000 रुपये तक के पेमेंट पर लग सकता है GST, जानें कौन होगा प्रभावित..

UPI GST Rules 2025 यूपीआई ट्रांजेक्शन करने वालों के लिए बड़ी खबर सामने आ रही है। 17 अप्रैल, 2025 को आई खबरों के मुताबिक, केंद्र सरकार जल्द ही 2000 से ज्यादा की यूपीआई पेमेंट्स पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर सक्रिय रूप से काम कर रही है। यदि ये प्रस्ताव पारित हो जाता है तो देशभर के करोड़ों लोगों के डिजिटल पेमेंट के लेनदेन को एक नया आकार दे सकता है। हालांकि वित्त मंत्रालय या जीएसटी काउंसिल ने अभी इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। इस विचार ने फिनटेक लीडर्स, ट्रेडर्स और उपभोक्ताओं के बीच चर्चा को बढ़ावा दे दिया है।
UPI GST Rules 2025: क्या है प्रस्ताव?
GST Rate: 18%
किस पर लागू होगा: 2000 रुपये से ज्यादा के UPI ट्रांजेक्शन पर।
दायरा: पीयर 2 पीयर (P2P) और मर्चेंट पेमेंट्स पर।
उद्देश्य: हाई वैल्यू वाली डिजिटल ट्रांजेक्श को औपचारिक कर के ढांचे (Formal Tax Framework) में लाना और तेजी से बढ़ते डिजिटल इकोसिस्टम से रिवेन्यू कलेक्शन को बढ़ाना।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस प्रस्ताव की समीक्षा अभी की जा रही है, इसे आने वाली जीएसटी काउंसिल मीटिंग में प्रस्तुत किए जाने की संभावना है।
UPI GST Proposal क्यों है जरूरी?
NPCI (National Payments Corporation of India) के डाटा के अनुसार, भारत में हर महीने 12 बिलियन से भी ज्यादा का यूपीआई ट्रांजेक्शन होता है। ज्यादा मूल्य वाली यूपीआई पेमेंट्स से पर्याप्त टेक्स रिवेन्यू बन सकता है, लेकिन इससे:
कुछ सेक्टर्स में डिजिटल पेमेंट्स का लेन देन कम हो सकता है।
यूजर्स को ज्यादा ट्रांजेक्शन कॉस्ट देना पड़ सकता है।
फ्रीलांसर और छोटे व्यापारियों पर अनुपालन का बोझ बढ़ सकता है।
अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की यूपीआई से निर्भरता खत्म हो सकती है।
डिजिटल पेमेंट कंपनियों को इस बात का डर है कि यदि ये प्रपोजल स्वीकर हो जाता है तो डिजिटल इंडिया इनिशिएटिव में जो प्रगति की वो उलटी पड़ सकती है। क्योंकि डिजिटल इंडिया इनिशिएटिव यूपीआई ट्रांजेक्शन के लिए जीरो-फी मॉडल आधारित है।
UPI GST Proposal से किस पर पड़ेगा असर?
व्यक्तिगत उपयोगकर्ता
वे लोग जो किराए, ट्यूशन या घर का सामान खरीदने के लिए 2000 से ज्यादा की यूपीआई पेमेंट करते हैं।
पेमेंट को स्प्लिट या विभाजित करने से असुविधा हो सकती है।
फ्रीलांसर्स और गिग वर्कर्स
डिजिटल सर्विस करने वालो के लिए यूपीआई पेमेंट एक लाइफलाइन की तरह है। जीएसटी से उनकी आय कम हो सकती है या उन्हें कॉम्प्लेक्स जीएसटी के लिए रजिस्टर करने पर मजबूर कर सकता है।
छोटे व्यापारियों या किराना स्टोर्स
UPI GST Rules 2025सेल्स के लिए क्यूआर कोड का उपयोग करने वाले व्यापारियों की संख्या कम हो सकती है या वे इसका खर्च ग्राहकों पर डाल सकते हैं।
फिनटेक कंपनी
पेमेंट ऐप्स में ट्रांजेक्शन की मात्रा कम हो सकती है और उन्हें नियामक बदलावों का सामना करना पड़ सकता है।
आपके लिए इस प्रपोजल का क्या मतलब है?
यदि यूपीआई जीएसटी प्रपोजल पारित हो जाता है तो ये हाई वेल्यू डिजिटल ट्रांजेक्शन करने वालों के लेनदेन के तरीके को बदल देगा। यूजर्स और व्यापारी इससे ये अपेक्षा कर सकते हैं:
बढ़ी हुई ट्रांजेक्शन कॉस्ट: 3000 रुपए की पेमेंट के लिए अब आपको 540 रुपए और देने होंगे।
व्यापार को यूपीआई इनफ्लो को हैंडल करने के लिए जीएसटी कंप्लायंस टूल की जरूरत पड़ सकती है।
यूजर्स के व्यवहार में बदलाव: प्रस्ताव स्वीकार होने से लोग ज्यादा मूल्य वाले भुगतान के लिए वापस कैश या NEFT/RTGS का उपयोग करने लगेंगे।
क्या करें?
जब तक यूपीआई जीएसटी को लेकर किसी तरह की आधिकारिक घोषणा नहीं होती, आप ये कर सकते हैं:
वित्त मंत्रालय और जीएसटी काउंसिल की नोटिफिकेशन पर नजर रखें।
यूपीआई ट्रांसफर को 2000 रुपए तक सीमित कर दें।
व्यापारी और फ्रीलांसर टैक्स प्रोफेशनल से संपर्क करें।
ज्यादा मूल्य वाली पेमेंट्स के लिए NEFT, IMPS या कार्ड से पेमेंट करना शुरू कर दें।