अन्य खबर

शरीर और आत्मा को स्वस्थ्य रखने के लिए करना चाहिए ये काम, इस मंत्र का करें जाप…..

जीवन दो चीजों से बना है. एक शरीर दूसरा आत्मा. शरीर पंच तत्वों से बना हैं.जो पंच महाभूतों, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं और मूलरूप से ये सब हमारे शरीर में बराबर मात्रा में रहने चाहिए. जब इनमें थोड़ी सी भी गड़बड़ी होती है या किसी एक तत्व में वृद्धि या त्रुटि आ जाने से दूसरे तत्वों में गड़बड़ी आती है,( जिससे शरीर में रोग उत्पन्न हो जाते हैं. इसके साथ ही आत्मा सात गुणों से बनी हैं. ज्ञान, पवित्रता, प्रेम, शांति, सुख, आनंद, खुशी, शक्ति इसलिए आत्मा को सतोगुणी कहा जाता हैं. लेकिन इन सात गुणों की कमी के कारण काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार, स्वार्थ जैसी चीजे आ जाती हैं. चरक संहिता के अनुसार इन्हीं तत्वों के समायोजन से स्वाद भी बनते हैं. मीठा पृथ्वी -जल, खारा पृथ्वी-अग्नि, खट्टा जल-अग्नि, तीखा वायु-अग्नि, कसैला वायु-जल, कड़वा वायु आकाश.

व्यक्ति परिश्रम

व्यक्ति परिश्रम तो बहुत करता है, लेकिन सतोगुण को संतुलित करने के लिए कोई नहीं प्रयास करता. किसी व्यक्ति में अगर ये असंतुलित हो तो उसे सफलता की प्राप्ति नहीं होती और ना ही वह स्वास्थ्य लाभ ले पाता है. अत: किसी व्यक्ति को सुख, स्वास्थ्य, शांति और समृधि पाने के लिए अपने जीवन में शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का कार्य करना चाहिए. इसके लिए ज्योतिष में कुंडली के ग्रहों का सहारा लिया जा सकता है. शरीर तथा आत्मा को स्वस्थ्य रखने के लिए लग्न, तीसरे और पंचम के ग्रहों के साथ ही सूर्य, चन्द्र इत्यादि ग्रहों को मजबूत करना चाहिए. इसके लिए जीवन में अनुशासन रखना, लोगों की मदद करना और स्वयं को प्रसन्नचित्त रखना चाहिए. इसके लिए ईश्वर की उपासना करना अथवा ॐ नम: शिवाय का जाप करना, सूक्ष्म जीवो की सेवा करना और सत्संग स्वाध्याय करना चाहिए. इसके अलावा सूर्य की तरह अनुशासन का पालन करना. सूर्य नमस्कार करना और दान करना चाहिए.

Related Articles

Back to top button