स्वाद में कड़वा मगर काम का है करेला जाने इसे उगाने का एडवांस तरीका
स्वाद में कड़वा मगर काम का है करेला जाने इसे उगाने का एडवांस तरीका

स्वाद में कड़वा मगर काम का है करेला जाने इसे उगाने का एडवांस तरीका कम लागत में छप्परफाड़ कमाई का जरिया बनी करेले की खेती जाने इसे उगाने का एडवांस तरीका तो बने रहिये अंत तक-
स्वाद में कड़वा मगर काम का है करेला जाने इसे उगाने का एडवांस तरीका
उन्नत किस्मे-
करेले की जो उन्नत किस्में ज्यादा प्रचलन में हैं उनमें कल्याणपुर बारहमासी,पूसा विशेष,हिसार सलेक्शन, कोयम्बटूर लौंग,अर्का हरित, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा औषधि, पूसा दो मौसमी, पंजाब करेला-1,पंजाब-14, सोलन हरा और सोलन सफ़ेद, प्रिया को-1, एस डी यू- 1, कल्याणपुर सोना, पूसा शंकर-1 आदि उन्नत किस्में शामिल हैं।
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उचित मिट्टिया-
इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली रेतली दोमट मिट्टी,जिसमें जैविक तत्व उच्च मात्रा में होते हैं करेले की खेती के लिए उपयुक्त है।मिट्टी की पी एच 6.5-7.5 करेले की खेती के लिए सबसे अच्छी रहती है।और अगर करेले के उत्पादन के लिए जलवायु की बात करें तो गर्म एवं आर्द्र अति उत्तम है।करेले कि बढ़वार के लिए न्यूनतम तापक्रम 20 डिग्री सेंटीग्रेड तथा अधिकतम 35 – 40 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए।
बुआई का तरीका-
गर्मी के मौसम की फसल के लिए जनवरी से मार्च तक इसकी बुआई की जा सकती है।मैदानी इलाकों में बारिश के मौसम इसकी बुवाई जून से जुलाई के बीच की जाती है।पहाड़ियों क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च से जून तक की जाती है।
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करेले की फसल पर प्रति एकड़ करीब 30 हजार रुपए की लागत आती है।एक एकड़ में करीब 50 से 60 क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है।इस तरह किसान एक एकड़ में इसकी खेती करके करीब 2 से 3 लाख रुपए तक का मुनाफा प्राप्त कर सकता है। इस तरह से किसान करेले की खेती करके मोटी कमाई कर सकते है।