Shardiya Navratri 2024 2nd Day: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि,आरती और मंत्र जाप,जाने माँ का प्रिय भोग
Shardiya Navratri 2024 2nd Day: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि,आरती और मंत्र जाप
Shardiya Navratri 2024 2nd Day: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि,आरती और मंत्र जाप,जाने माँ का प्रिय भोग माँ की आराधना में कोई कमी नहीं आनी चाहिए सभी भक्तो का यही कहना होता है तो हम आपके लिए लाये है कुछ ऐसे मन्त्र जिससे जाप करने से आपके सरे दुःख है हर लेंगी आगे जानने के लिए हमारे साथ अंत तक बने रहे
Shardiya Navratri 2024 2nd Day: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि,आरती और मंत्र जाप,जाने माँ का प्रिय भोग
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- नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- कठोर तपस्या करने के बाद नाम पड़ा ब्रह्मचारिणी
- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में पीले रंग का खास महत्व
- मां ब्रह्मचारिणी को चीनी या मिसरी का भोग जरूर लगाएं
- मां हमें तप, त्याग, संयम और सदाचार सिखाती हैं
ऐसे पड़ा मां का नाम ब्रह्मचारिणी(This is how mother got the name Brahmacharini)
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के तपस्विनी रूप की पूजा होती है। शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। नारद मुनि के कहने पर, उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। हजारों वर्षों तक उनकी कठोर तपस्या के कारण ही उन्हें तपस्विनी या ब्रह्मचारिणी कहा जाता है। इस कठिन तपस्या के दौरान, उन्होंने कई वर्षों तक बिना कुछ खाए-पिए कठोर तपस्या की और महादेव को प्रसन्न किया। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्र के दूसरे दिन इनके इसी रूप की पूजा और स्तवन किया जाता है। नवरात्रि के दूसरे दिन, मां के इस रूप की पूजा उनके दृढ़ संकल्प और समर्पण के प्रतीक के रूप में की जाती है। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा और दृढ़ निश्चय से हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप(Form of Mother Brahmacharini)
मां ब्रह्मचारिणी, ज्ञान और विद्या की देवी हैं, जो अपने भक्तों को विजय दिलाती हैं। देवी का रूप अत्यंत सरल और सुंदर है। श्वेत वस्त्र धारण किए, एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल लिए हुए हैं। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली। यह देवी, संसार के सभी जीवों और निर्जीव वस्तुओं के ज्ञान की स्वामिनी हैं। इनके हाथों में मौजूद अक्षयमाला और कमंडल, शास्त्रों और तंत्र-मंत्र के ज्ञान का प्रतीक हैं। अपने भक्तों को यह अपनी सर्वज्ञ संपन्न विद्या देकर विजयी बनाती है। ब्रह्मचारिणी का स्वभाव बहुत ही शांत और दयालु है। दूसरी देवियों के मुकाबले में यह देवी जल्दी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को वरदान देती हैं और हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। पढ़ने वाले बच्चों को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ज्ञान और विद्या धन की प्राप्ति होती है।
मां ब्रह्मचारिणी का भोग(Mother Brahmacharini’s offering)
नवरात्रि के दूसरे दिन मां भगवती को चीनी या फिर मिसरी का भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे भक्तों को लंबी उम्र और अच्छी सेहत मिलती है। चीनी का भोग लगाने से अच्छे विचार भी आते हैं। मां पार्वती की कठिन तपस्या को याद करके हमें संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। नवरात्रि का दूसरा दिन बहुत ही खास होता है क्योंकि इस दिन मां को मीठा भोग लगाया जाता है। ऐसा करने से आपको आरोग्य की प्राप्ति होती है और मन में अच्छे विचारों का आगमन होता है। मां दुर्गा का यह रूप में हमें शांत रहते हुए अपने लक्ष्य पर फोकस करने के लिए प्रेरित करता है। मां को पीले रंग के वस्त्र, फूल और फल भेंट करने का महत्व बताया गया है। यह रंग सीखने, उत्साह, बुद्धि और ज्ञान का भी प्रतीक माना जाता है। इसलिए मां को पीले रंग की वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए।
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजाविधि(Worship method of Mother Brahmacharini)
- नवरात्रि के दूसरे दिन, भक्त मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं, जो शक्ति और तपस्या का प्रतीक हैं। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर पूजा स्थल पर गंगाजल से छिड़काव करें और पूरे परिवार के साथ मां दुर्गा की उपासना करें।
- मां ब्रह्मचारिणी को पीले रंग प्रिय है। इसलिए, भक्त पीले वस्त्र पहनते हैं और देवी को पीले रंग की वस्तुए अर्पित करते हैं। पूजा में पंचामृत स्नान, रोली-कुमकुम, अगरबत्ती और हवन सामग्री शामिल हैं।
- मां ब्रह्मचारिणी को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें रोली, कुमकुम चढ़ाएं। इसके बाद धूप-दीप दिखाकर मां को भोग लगाएं। अपनी श्रद्धा अनुसार लौंग, बताशे और हवन सामग्री से अग्नि में आहुति दें।
- भक्त मां को पीले फल, फूल, दूध से बनी मिठाइयां और चीनी का भोग लगाते हैं। इसके साथ ही, वे देवी के ध्यान मंत्र का जाप करते हैं और “माँ के जयकारे” लगाते हैं। पूजा के अंत में पान-सुपारी, आरती और दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।
- पूजाविधि में कलश देवता और नवग्रह की पूजा भी शामिल है। शाम के समय फिर से आरती की जाती है।
- माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा भक्ति और समर्पण के साथ की जाती है, जो भक्तों को शक्ति, साहस और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है।
Shardiya Navratri 2024 2nd Day: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि,आरती और मंत्र जाप,जाने माँ का प्रिय भोग
मां ब्रह्मचारिणी की आरती(Aarti of Mother Brahmacharini)
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।