छत्तीसगढ़ न्यूज़ (समाचार)

सड़क हादसे: तीन सालों में 900 लोगों ने गंवाई जान, 800 घायल,रायगढ़ जिले में सड़क दुर्घटनाओं की भयावह स्थिति

सड़क हादसे: रायगढ़ में ऐसे परिवारों की संख्या हजारों में है,

जिन्होंने अपने किसी प्रियजन को सड़क हादसे में खोया है।

यह सिलसिला अब भी जारी है।

बीते तीन सालों के आंकड़े देखें तो करीब 900 लोगों ने अपनी जान गंवाई है

और 800 से ज्यादा घायल हुए हैं।

औद्योगीकरण और खराब सड़कों की वजह से हर रोज कई मासूमों के सिर से पिता का साया उठ रहा है।

खराब सड़कों की वजह से हर रोज कई मासूमों के सिर से पिता का उठ रहा साया

रायगढ़ के लोगों ने उद्योगों का खुले दिल से स्वागत किया।

किसी कंपनी ने यहां स्टील प्लांट लगाया तो किसी ने पावर प्लांट।

कई कंपनियों ने कोयला खदानें खोलीं तो क्रशर भी स्थापित किए गए।

रायगढ़ को औद्योगीकरण की दौड़ में अग्रणी रखने में यहां के निवासियों की भी उतनी ही भागीदारी है,

लेकिन इसके लिए जो कीमत लोगों ने चुकाई है उसकी भरपाई नहीं की जा सकती।

उद्योगों की वजह से सरकार ने भरपूर राजस्व वसूला लेकिन साइड इफेक्ट आम जनता के हिस्से में आया।

भारी वाहनों की संख्या सैकड़ों से हजारों में पहुंच गई।

हर साल सड़क हादसों में जान गंवाने वाले 50-100 नहीं बल्कि इससे भी कहीं अधिक हैं। विधानसभा सत्र में रायगढ़ जिले में सड़क हादसों से हुई मौतों का मामला भी गूंजा। रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक और धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया ने इस विषय पर प्रश्न पूछे। दोनों ने करीब तीन सालों में थानावार हादसों में मौत और घायलों की जानकारी मांगी। गृह मंत्री ने जवाब में जो आंकड़े दिए वे सोचने पर विवश करते हैं। जनवरी 2019 से जनवरी 2022 के बीच जिले में 901 लोगों की मौतें सड़क हादसे में हुई है। वहीं घायलों की संख्या भी 801 है। सबसे ज्यादा 109 मौतें कोतवाली थाना क्षेत्र में हुई हैं। लैलूंगा, खरसिया, पुसौर और घरघोड़ा में भी कई परिवार उजड़ गए हैं।

न कोई शोर, न आंदोलन

सड़क हादसों में हो रही मौतों का विषय स्थानीय स्तर पर कोई मुद्दा ही नहीं है। न कोई लोकल नेता इस पर शोर मचाता है और न ही कोई आंदोलन खड़ा होता है। गृह विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा मौतें कोतवाली थाना और जूटमिल चौकी क्षेत्र में हुई हैं। दोनों इलाकों में 109 लोगों ने जानें गंवाई हैं। पुसौर में 77, लैलूंगा में 82, खरसिया में 73, घरघोड़ा में 70, सारंगढ़ में 74, तमनार में 53, चक्रधर नगर में 48 समेत तीन साल में 901 मौतें हुई हैं। इसी अवधि में कोतवाली क्षेत्र में 132, सारंगढ़ में 89, चक्रधर नगर में 81, खरसिया में 94 और लैलूंगा में 64 लोग घायल भी हुए हैं। कोई भी थाना क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां सड़क दुर्घटना में किसी की जान न गई हो।

जवाबदेही नहीं होती तय

सड़क हादसों में इस तरह हो रही मौतों पर जिला प्रशासन और पुलिस विभाग दोनों जवाबदेह हैं। खराब होती सड़कों पर बेतरतीब और तेज गति से दौड़ रहे डंपर, ट्रेलर, ट्रक ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। आम आदमी को हेलमेट नहीं पहनने को कहा जाता है, इसके लिए जुर्माना भी वसूला जाता है, लेकिन भारी वाहनों के मालिकों और ट्रांसपोर्टरों की जवाबदेही तय नहीं की जाती। रात को भारी वाहनों को आधा घंटा रोककर छोड़ देने का चलन है। कई हादसों में तो वाहन चालक अज्ञात होता है। मौतों के कारण कितने मासूम अपने माता-पिता को खो चुके हैं। इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई अधिकारी सोचना ही नहीं चाहता। इसकी कोई समीक्षा ही नहीं करता।

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