Ram Setu First day Review अक्षय कुमार की ‘राम सेतु’ ने जीता दर्शकों का दिल, पर ये क्या…

Ram Setu First day Review निर्देशक अभिषेक शर्मा की अक्षय कुमार अभिनीत रामसेतु भले ही दिवाली के मौके पर सिनेमाघरों में दर्शकों के बीच है, लेकिन रामसेतु हमेशा से धार्मिक आस्था रखने वालों, पुरातत्वविदों और इतिहासकारों में चर्चा का विषय रहा है।
रामसेतु को एडम ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर रामेश्वरम और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिम तट के मन्नार द्वीप के बीच 48 किलोमीटर लंबी रेंज है। इसके बारे में हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान राम और उनकी सेना द्वारा लंका पार करने और रावण से युद्ध करने के लिए बनाए गए सेतु अर्थात पुल के रूप में उल्लेख है। वहीं, इस्लामिक कथाओं के अनुसार एडम अर्थात आदम ने इस पुल का इस्तेमाल आदम की चोटी तक पहुंचने के लिए किया था। वैज्ञानिकों के अनुसार रामसेतु एक कुदरती संरचना है, लेकिन बीते कई सालों से सबूत पेश कर दावा किया जा रहा है कि यह प्राकृतिक नहीं, बल्कि भगवान राम द्वारा बनाया गया है। निर्देशक अभिषेक शर्मा की फिल्म रामसेतु भी इसी विचार के इर्दगिर्द घूमती है, लेकिन फिल्म को फ़िक्शनलाइज करके दर्शकों को एक अलग मोड़ पर छोड़ देती है।
निर्देशक – अभिषेक शर्मा
कलाकार – अक्षय कुमार, जैकलीन फर्नांडिस, नुसरत भरूचा,
अवधि – दो घंटे 24 मिनट
जॉर्नर – साइंस, फिक्शन ड्रामा
रेटिंग – 2.5 ढाई स्टार
ट्रेलर से ज्यादा फिल्म में कुछ नहीं
अक्षय कुमार की हाल की फिल्मों के साथ सबसे बड़ी कमजोरियां रही है, उनकी फिल्मों के ट्रेलर। सिनेमाघरों में रिलीज हुई पिछली फिल्मों के अलावा इस दरम्यान अक्षय की ओटीटी पर रिलीज फिल्में ‘लक्ष्मी’, ‘अतरंगी रे’ और ‘कठपुतली’ के ट्रेलर भी जिन लोगों ने देखे हैं, उनके लिए इन्हें देखने के बाद फिल्म में इससे बेहतर कुछ नजर नहीं आता। ट्रेलर में ही फिल्म की पूरी कहानी खोल देने से भी अक्षय कुमार की फिल्मों में आम दर्शकों की दिलचस्पी लगातार कम होती जा रही है। दिवाली के अगले दिन देश भर के कोई तीन हजार स्क्रीन्स पर रिलीज हो रही फिल्म ‘राम सेतु’ सौ करोड़ रुपये के बजट में बनी शानदार फिल्म हो सकती थी लेकिन फिल्म देखते समय बार बार इसका दो सौ करोड़ से भी ज्यादा का बजट याद आता रहता है और ये भी याद आता रहता है कि इसमें से आधे से भी ज्यादा हिस्सा अक्षय कुमार के पास जाने वाला है। फिल्म ‘राम सेतु’ की कहानी अदालत में सवालिया घेरे में आए हिंदू आस्था के प्रतीक रहे उस पुल को खोजने की कहानी है जिसके अस्तित्व पर पिछली सरकारों के नुमाइंदों ने ही सवाल खड़े कर दिए थे।
राम सेतु रिव्यू
सिनेमाई नजरिये की प्रयोगधर्मी फिल्म
सियासी अभियानों को परे रखते हुए फिल्म ‘राम सेतु’ को देखना रुचिकर है। एक पुरातत्व विशेषज्ञ उस राम सेतु को खोजने निकला है जिसका जिक्र भगवान श्री राम की सारी कथाओं में मिलता है। अपनी धर्मपत्नी सीता को खोजने निकले राम ने अपने सहायकों के साथ मिलकर देश के दक्षिणी सिरे रामेश्वरम से लेकर पड़ोस के देश श्रीलंका तक समुद्र में पुल बना दिया था और ये पुल ऐसे पत्थरों से बना, जो पानी में डूबते नहीं थे। फिल्म इस राम सेतु के अस्तित्व को स्थापित करती है और ये भी स्थापित करती है कि मान्यताओं में चली आ रही कहानियां सिर्फ कल्पनाएं नहीं हैं। सफेद दाढ़ी, लंबे बालों वाले अक्षय कुमार को देखकर लगने भी लगता है कि ये बंदा वाकई पढ़ा लिखा है। इतिहास का जानकार है और अनीश्वरवादी होने के बावजूद उसकी अपने कर्म में श्रद्धा है और कर्म से बड़ी पूजा तो खैर दुनिया में दूसरी है ही नहीं। फिल्म का शुरू का आधा घंटा आपको बार बार फिल्म ‘नेशनल ट्रीजर’ की भी याद दिला सकता है। इस मामले में दूसरा जो कलाकार फिल्म मे प्रभावित करता है वह हैं सत्यदेव। बाकी कलाकारों में नासिर को करने को कुछ नया मिला नहीं। जैकलीन की फिल्मी कहानी, अदाकारी की कहानी कभी रही ही नहीं। पूरी कहानी में बार बार लंका जपने के बावजूद वह श्रीलंका की होकर भी जैकलीन वहां का किरदार नहीं निभा रही हैं। नुसरत ने शायद ये फिल्म बस अक्षय के नाम पर कर ली है।
कहानी रियल लाइफ घटनाओं पर आधारित है, जहां आर्कियोलॉजिस्ट डॉक्टर आर्यन कुलश्रेष्ठ एक नास्तिक शख़्स है। वह अपने पेशे के कारण तथ्यों पर यक़ीन करता है, वहीं उसकी पत्नी गायत्री धर्मभीरु है और इतिहास की प्रफ़ेसर है। इनका एक बेटा है। एक आर्कियोलॉजिकल मिशन के तहत आर्यन अफ़ग़ानिस्तान में भगवान बुद्ध की मूर्ति के अवशेषों के साथ ऐतिहासिक धरोहर का पता भी लगा लेता है। इंडिया लौटने के बाद उसे सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट पर रिसर्च के काम में लगाया जाता है, जहां उसे पुरातात्विक तथ्यों के आधार पर साबित करना है कि रामसेतु प्राकृतिक संरचना है और यह भगवान राम के जन्म से भी पहले से प्रकृति की उत्पत्ति का नमूना है।
असल में पुष्पक शिपिंग कंपनी का मालिक (नासर) शिपिंग नहर परियोजना के उद्देश्य से गहरे पानी के चैनल का निर्माण करके भारत और श्रीलंका के बीच एक शिपिंग रूट बनाना चाहता है, जिससे भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच सफ़र का समय भी कम हो जाएगा। इस परियोजना में नासर का बहुत कुछ दांव पर लगा है। उधर इस परियोजना की घोषणा होते ही धार्मिक आस्था रखने वाला पक्ष विरोध के स्वर मुखर कर देता है कि भगवान राम से जुड़ी संस्कृति के साथ छेड़छाड़ नहीं होने देंगे।
नासर और सरकार की ओर से आर्यन को सेंड्रा रीबेलो ( जैकलीन फ़र्नांडिस), प्रवेश राणा, जेनिफ़र जैसे लोगों टीम के साथ रिसर्च के लिए भेजा जाता है और आर्यन इस बात को लेकर कटिबद्ध है कि वह पुल भगवान राम ने नहीं बनाया है, लेकिन जैसे-जैसे रिसर्च आगे बढ़ती है और जो तथ्य मिलते है, उससे आर्यन भी हैरान हो जाता है। कहानी एक ऐसे मोड़ पर आ जाती है, जहां आर्यन समेत उसकी पूरी टीम को मारने का षड्यंत्र रचा जाता है। उधर रामसेतु पर शिपिंग परियोजना पर अदालत को फैसला देने में महज दो दिन बाक़ी हैं और आर्यन के पास भी दो ही दिन का समय है। क्या आर्यन और उसकी टीम अदालत के फ़ैसले से पहले सही तथ्यों तक पहुंच पाती है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
पौराणिक कथाओं को आधुनिक सोच के साथ मिलाकर एक अलग कहानी गढ़ने का प्रयास नया नहीं है। मगर निर्देशक अभिषेक दुबे की कहानी की समस्या यह है कि शुरुआत में ही समझ में आ जाता है कि इसका अंत क्या होगा। सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक विषयों पर फिल्म बनाते समय निर्देशक की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। निर्देशक के रूप में अभिषेक ने इस मामले में लापरवाही बरती है। मुद्दे को साबित करने वाले तथ्य फ़ोर्सफुल साबित होते हैं और कई जगहों पर बचकाने भी। कई दृश्यों में निर्देशक द्वारा लोगों की धार्मिक भावना का इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति साफ़ झलकती है। फ़र्स्ट हाफ़ का बहुत सारा समय कहानी और किरदारों को डिवेलप करने में लगाया है। सेकंड हाफ़ में कहानी रफ़्तार पकड़ती है। हालांकि फिल्म इस राम सेतु के अस्तित्व को स्थापित करती है और यह भी स्थापित करती है कि मान्यताओं में चली आ रही कहानियां कपोल कल्पनाएं नहीं हैं। फिल्म द विंची कोड और नैशनल ट्रेजर की याद दिलाती है।
तकनीकी टीम औसत है। वीएफएक्स इफ़ेक्ट को और सुधारा जा सकता था। डैनियल बी जॉर्ज ने फिल्म के मुताबिक़ साउंड डिजाइन करने का प्रयास किया है। रामेश्वर भगत की एडिटिंग सुस्त है। असीम की सिनेमैटोग्राफी ने फिल्म को रहस्य और रोमांच से लबरेज रखने में काफी मदद की है। फिल्म के अंत में ‘राम राम’ गाना अच्छा बन पड़ा है| क्लाईमैक्स की बात करें, तो यह भक्तों के लिए एक दिवाली गिफ़्ट की तरह साबित होता है।
Ram Setu First day Review अभिनय के मामले में अक्षय कुमार नास्तिक आर्कियोलॉजिस्ट की भूमिका में जमे हैं। उनका लुक कूल है। जैकलीन फ़र्नांडिस अपने रोल में अच्छी लगी हैं। लेकिन नुसरत भरूचा को बहुत कम स्क्रीन टाइम मिला है। नासर, प्रवेश राणा और सत्यदेव कंचारणा जैसे कलाकारों ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। सहयोगी कास्ट अच्छी है।