छत्तीसगढ़ न्यूज़ (समाचार)

Raipur Air Show: छत्तीसगढ़ में देखेगा भारतीय वायुसेना की शौर्यगाथा, 5 नवंबर को होगा ‘सूर्यकिरण एरोबैटिक शो

Raipur Air Show: सोमवार को नया रायपुर का आसमान इंडियन एयरफोर्स की फाइटर जेट्स की गर्जना से गूंज उठा। यह फाइटर जेट 4 और 5 नवंबर को आसमान में करतब दिखाएंगे। अब आपको बताते हैं (सूर्य किरण एरोमेटिक टीम) और उसमें शामिल फाइटर प्लेंस के बारे में। 1996 में गठित सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम भारतीय वायुसेना की सटीकता, साहस और तकनीकी दक्षता का प्रतीक है।

 

अपने गठन के बाद से इस टीम ने भारत की हवाई क्षमता और अनुशासन का भव्य प्रदर्शन देश-विदेश के अनेक मंचों पर किया है। सूर्यकिरण टीम एशिया की एकमात्र नौ विमान की एरोबैटिक डिस्प्ले टीम है, जो भारतीय वायुसेना की तकनीकी क्षमता, अनुशासन और समन्वय की मिसाल मानी जाती है। इनके विमानों की उड़ानें इतनी सटीक होती हैं कि कभी-कभी पंखों के बीच की दूरी 5 मीटर से भी कम रह जाती है। यही वह कौशल है जो भारत को वैश्विक स्तर पर अलग पहचान देता है। अब तक सूर्यकिरण टीम ने भारत और विदेशों में 700 से अधिक प्रदर्शन किए हैं।

 

 

भारतीय वायुसेना का रोमांचक प्रदर्शन

 

श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, ब्रिटेन और थाईलैंड जैसे देशों में इस टीम ने भारत का गौरव बढ़ाया है। टीम ने सिंगापुर एयर शो, दुबई एयर शो और रॉयल थाई एयर फोर्स की 88वीं वर्षगांठ पर भी शानदार प्रस्तुतियां दीं। इन प्रदर्शनों ने भारत की तकनीकी क्षमता और रक्षा सहयोग की भावना को दुनिया के सामने रखा है। इंडियन एयरफोर्स (IAF) की सूर्य किरण एरोबेटिक टीम (SKAT) का गठन 1996 में किया गया था और यह दुनिया की नौ-विमान वाली अनूठी एरोबेटिक्स टीमों में से एक है। एशिया में अपने आप में इकलौती ऐसी टीम है। इस अनूठी टीम ने भारत में 500 से अधिक प्रदर्शन किए हैं।

 

 

सूर्य किरण एरोबेटिक टीम का शानदार प्रदर्शन (Suryakiran Air Show)

Raipur Air Show: इसके अलावा चीन, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, सिंगापुर और यूएई में एयर शो में भारतीय वायुसेना की ताकत दिखा चुके हैं। सूर्य किरण एरोबेटिक टीम SKAT का आदर्श वाक्य “सदैव सर्वोत्तम” है। लाल वर्दी में दिखने वाले एयरफोर्स के पायलट इस शो के जरिए यूथ को इंडियन एयरफोर्स ज्वाइन करने के लिए इंस्पायर करते हैं सूर्य किरण टीम जिस जेट के साथ करतब आसमान में दिखाएगी उसका नाम हॉक एमके 132 (Hawk MK 132) है। फिलहाल ये भारतीय वायुसेना में यंग पायलट की ट्रेनिंग में काम आता है। इसमें पायलट दुश्मन के हवाई इलाकों की निगरानी, जमीनी और नौसैनिक हमले का जवाब देने की ट्रेनिंग लेते हैं।

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