रायगढ़ न्यूज़ (समाचार)

Raigarh News: नियम नहीं मानेंगे निजी स्कूल तो मान्यता होगी निरस्त….

Raigarh News रायगढ़, 5 अप्रैल। शिक्षा का अधिकार नियमों को ठेंगा दिखाते हुए अपनी जेबें भरने वाले उन निजी स्कूलों की अब खैर नहीं। दरअसल, जिला शिक्षाधिकारी ने एक युकां नेता की शिकायत पर शासन द्वारा निर्धारित पुस्तकों को छोड़ अन्य पब्लिसर की बुक्स को केवल चिन्हित दुकानों से ही महंगे दर पर खरीदने का दबाव बनाने वाले निजी स्कूलों की मान्यता को ही निरस्त करने का फरमान जारी किया है।

हुआ यूं कि सोशल मीडिया में एक जागरूक युवा नेता ने यह कहते हुए पोस्ट डाल दिया कि शहर की नामीगिरामी स्कूल में एडमिशन के नाम पर मोटी रकम ली जा रही है। साथ ही पालकों पर दबाव भी बना रहे हैं कि वे छत्तीसगढ़ शासन द्वारा निर्धारित पुस्तकों की जगह दीगर पब्लिसर की बुक्स को निर्धारित दुकान से ही खरीदे। चूंकि, स्कूल द्वारा चिन्हित दुकान में प्रिंट रेट पर कापी-पुस्तकें मिलती है, ऐसे में सोशल मीडिया में यह मुद्दा सुर्खियों में आते ही राजनीति भी शुरु हो गई। युवक कांग्रेस नेता तारा श्रीवास ने छात्रहित से जुड़े इस टॉपिक को न केवल प्राथमिकता से उठाया, बल्कि जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित में इसकी शिकायत भी कर दी। फिर क्या, डीईओ ने इसे बेहद संजीदगी से लेते हुए देर शाम ही निजी स्कूलों के लिए जो आदेश जारी किया, अभिभावक उसकी तारीफ भी कर रहे हैं।

जिला शिक्षाधिकारी बी. बाखला ने अशासकीय विद्यालयों के प्राचार्य-संचालकों को तल्ख शब्दों में फरमान जारी कर कहा है कि निजी स्कूलों द्वारा कक्षाओं की पुस्तकों का प्रिंट रेट पर पालकों को बेचने और आरटीई के बारे में शिकायत मिली है। चूंकि, कक्षा पहली से दसवीं तक शासन द्वारा पाठ्य पुस्तक निगम से पुस्तकें निजी स्कूलों को दी जाती है। बावजूद इसके शिकायतें मिल रही कि अशासकीय विद्यालय प्रबंधन ही शासन से निर्धारित पुस्तकों को छोड़कर अपनी मनमर्जी से किसी भी प्रकाशक की किताबों से पढ़ा रहे हैं जो बाजार में उपलब्ध नहीं होने के कारण अभिभावकों से प्रिंट रेट पर ही स्कूल या उनके द्वारा चिन्हित चुनिंदा दुकान में ही मिलती है।

 

 

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Raigarh News   ऐसे में डीईओ बाखला ने युकां नेता की शिकायत और पालकों की मांग पर निजी स्कूल संचालकों मो दो टूक में कह दिया है कि अगर किसी भी अशासकीय विद्यालय के संबंध में इस प्रकार शिकायत मिलती है तो उसे किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा, बल्कि नियमों की अवहेलना करने पर उसकी मान्यता को तत्काल निरस्त की जाएगी। फिलहाल, जिला शिक्षा अधिकारी के इस सख्त फरमान से उन निजी स्कूल प्रबंधकों की पेशानी पर बल पड़ गए हैं, जो शिक्षा को कारोबार समझते हैं।

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