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Pradosh Vrat 2024: हर महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है इस स्रोत का पाठ करने से मिलेंगे मन चाहा वर,जाने

हर महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है इस स्रोत का पाठ करने से मिलेंगे मन चाहा वर

Pradosh Vrat 2024: हर महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है इस स्रोत का पाठ करने से मिलेंगे मन चाहा वर,जाने अगर आपको भी मन चाहा वर चाहिए तो करे ये पूजा होने महदेव खुश जानने के लिए अंत तक बने रहे

Pradosh Vrat 2024: हर महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है इस स्रोत का पाठ करने से मिलेंगे मन चाहा वर,जाने

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  1. त्रयोदशी तिथि पर महादेव की पूजा होती है।
  2. इस दिन श्रद्धा अनुसार दान करना चाहिए।

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त(Pradosh fast auspicious time)

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष कीप्रदोष व्रतकी शुरुआत 29 सितंबर शाम 04 बजकर 47 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 30 सितंबर शाम 07 बजकर 06 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 29 सितंबर को किया जाएगा। इस दिन रविवार होने की वजह से यह रवि प्रदोष  कहलाएगा।

॥ शिव द्वादशज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्र ॥

सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्येज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्।

भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णतं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये॥

श्रीशैलशृङ्गे विबुधातिसङ्गेतुलाद्रितुङ्गेऽपि मुदा वसन्तम्।

तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकंनमामि संसारसमुद्रसेतुम्॥

अवन्तिकायां विहितावतारंमुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।

अकालमृत्योः परिरक्षणार्थंवन्दे महाकालमहासुरेशम्॥

कावेरिकानर्मदयोः पवित्रेसमागमे सज्जनतारणाय।

सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोङ्कारमीशं शिवमेकमीडे॥

पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधानेसदा वसन्तं गिरिजासमेतम्।

सुरासुराराधितपादपद्मंश्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि॥

याम्ये सदङ्गे नगरेऽतिरम्येविभूषिताङ्गं विविधैश्च भोगैः।

सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकंश्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये॥

महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तंसम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः।

सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यैःकेदारमीशं शिवमेकमीडे॥

सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तंगोदावरीतीरपवित्रदेशे।

यद्दर्शनात्पातकमाशु नाशंप्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीड॥

सुताम्रपर्णीजलराशियोगेनिबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यैः।

श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तंरामेश्वराख्यं नियतं नमामि॥

यं डाकिनीशाकिनिकासमाजेनिषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च।

सदैव भीमादिपदप्रसिद्धंतं शङ्करं भक्तहितं नमामि॥

सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम्।

वाराणसीनाथमनाथनाथंश्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये॥

इलापुरे रम्यविशालकेऽस्मिन्समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम्।

वन्दे महोदारतरस्वभावंयरघृष्णेश्वराख्यं शरणं प्रपद्ये॥

ज्योतिर्मयद्वादशलिङ्गकानांशिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण।

स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्याफलं तदालोक्य निजं भजेच्च॥

॥ इति श्रीद्वादशज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रम् सम्पूर्णम्। ॥

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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