Petrol-Diesel Price Cut: खुशखबरी….पेट्रोल-डीजल के रेट में आई गिरावट ! अब इस जगह पर कम दामों में मिलेंगे पेट्रोल डीजल
Petrol-Diesel Price Cut :Good news….petrol and diesel rates have declined! Now petrol diesel will be available at low prices at this place
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Petrol-Diesel Price Cut: लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है। वहीं, चुनाव से पहले सरकार आम जनता को राहत देने के लिए लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती करने जा रही है। अगर ऐसा होता है तो करीब 21-22 महीने के बाद देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में कोई कमी आएगी।
घरेलू क्रेडिट रेटिंग एंजेंसी इक्रा की एक हालिया रिपोर्ट से पेट्रोल-डीजल के दाम होने की यह उम्मीद बढ़ी है। दरअसल, इक्रा की रिपोर्ट बताती है कि हाल के कुछ हफ्तों में भारतीय ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का ईंधन बेचने से होने वाला मार्जिन बढ़ा है और ये सरकारी तेल कंपनियां मोटा मुनाफा कूट रही हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले लोगों को सस्ते पेट्रोल-डीजल की सौगात मिल सकती है।
तेल कंपनियों के मार्जिन में आया सुधार
इक्रा के अनुमान के हिसाब से ऑयल मार्केट कंपनियों ने जनवरी 2024 में पेट्रोल पर 11 रुपये प्रति लीटर, जबकि डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा कमाया है। कंपनियों का सितंबर 2023 के बाद से पेट्रोल पर, जबकि नवंबर 2023 से डीजल पर मार्जिन सुधरा है। यानी सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल पर 4 महीने से और डीजल पर पिछले 2 महीने से बढ़िया प्रॉफिट कमा रही हैं।
बता दें कि सरकार ने मई 2022 में इन ईंधनों पर एक्साइज ड्यूटी कम किया तथा, तक पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटी थीं। उसके बाद से इन दोनों प्रोडक्ट के दाम फ्रीज हैं। वहीं, इस समय बेंचमार्के क्रूड ऑयल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे है। इस समय लीबिया और नार्वे में क्रूड का प्रोडक्शन बढ़ रहा है। वेनेजुएला से भी भारत को डिस्काउंटेड क्रूड ऑयल मिलने वाला है। इसलिए माना जा रहा है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें एक बार फिर से नरम होंगी।
कच्चे तेल की कीमत
Petrol-Diesel Price Cut : कच्चे तेल की कीमतें अभी 80 डॉलर प्रति बैरल के नीचे चल रही हैं। मांग में नरमी तथा लीबिया और नॉर्वे की ओर से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाना इसकी वजह है। इसके अलावा, पश्चिमी एशिया में संघर्ष बढ़ने की आशंका तेज होने से भी कच्चे तेल के दाम में नरमी है। रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई थी। उस समय केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटाकर आम लोगों को राहत दी थी इसके बाद से तेल कंपनियां घाटे और मुनाफे के बीच अटकी रही। लेतिन, केवल पेट्रोल-डीजल के ही दाम थे जो स्थिर रहे।