Pausha Putrada Ekadashi : पौष पुत्रदा एकादशी के दिन जरूर पढ़ें ये पौराणिक व्रत कथा, जानें पूजा की सही समय और विधि…
Pausha Putrada Ekadashi : हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से पाप नष्ट होते हैं और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) एवं मां लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) की कृपा प्राप्त होती है. हर माह दो एकादशी व्रत आते हैं. पौष माह का एकादशी व्रत 21 जनवरी, रविवार को है.पौष माह में आने वाले एकादशी व्रत को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. इस व्रत का इतना अधिक माहात्म्य है कि इसको रखने वाला जीवन में हर सुख प्राप्त करता है. शास्त्रों में भी एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) को सभी व्रतों में श्रेष्ठ बताया गया है.
पुत्रदा एकादशी का महत्व – पौष शुक्ल पक्ष दशमी तिथि के अगले दिन पुत्रदा एकादशी व्रत करने का विधान है. भगवान विष्णु को यह दिन समर्पित होता है. इस दिन श्री हरि के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. इस व्रत को कोई भी कर सकता है, परंतु यह मान्यता है कि निःसंतान व नवविवाहित इसे करें तो उनकी पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है. मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं.
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पुत्रदा एकादशी व्रत कथा – द्वापर युग की बात है. एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से कहा कि वे पौष पुत्रदा एकादशी की कथा जानने के इच्छुक हैं.तब श्रीकृष्ण ने कहा-हे धर्मराज! भद्रावती नामक नगर में दानवीर और कुशल राजा था, सुकेतुमान. उसकी प्रजा हमेशा खुश रहती थी. किसी को कोई कष्ट ना था. लेकिन सुकेतुमान को एक चिंता सताए रहती थी कि उसकी कोई संतान नहीं थी. वह सोचता था कि उसके बाद राजपाट कौन चलाएगा.एक दिन राजा वन की ओर गया. वहां उसे एक ऋषि के दर्शन हुए. ऋषि ने राजा को देखा तो उसकी चिंता समझ गए.
Pausha Putrada Ekadashi : ऋषि ने कहा-हे राजा, आप परेशान हैं, क्या कारण है? तब राजा ने अपनी चिंता बताते हुए कहा- नारायण की मुझ पर कृपा है. मेरे पास सब कुछ है. बस एक ही कमी है, मेरी संतान नहीं है.मेरा पुत्र नहीं है. मेरे बाद कौन राजपाट संभालेगा, मेरा पिंडदान कौन करेगा? पूर्वजों का तर्पण कौन करेगा?ऋषि ने कहा- राजन, पौष शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन व्रत करें. भगवान विष्णु की पूजा करें. आपको अवश्य ही पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी.ऋषि ने जैसा कहा था राजा ने वैसा ही किया. पुत्रदा एकादशी का व्रत किया. जिसके प्रभाव से राजा को पुत्र रत्न की प्राप्त हुई.