मूंग की खेती बनाएगी आपको मालामाल ,जाने कैसे करे इसकी उत्तम खेती
मूंग की खेती बनाएगी आपको मालामाल ,जाने कैसे करे इसकी उत्तम खेती मूंग बनाएगी आपको मालामाल ,बोने से पहले जाने ये तरीके आपको बता दें की मूंग की बुवाई शुरू होने वाली है। रबी सीजन में बड़े क्षेत्र में बुवाई करने से मूंग की खेती किसानों को मालामाल कर सकती है। रबी सीजन में मार्च का महीना और खरीफ में जून-जुलाई का महीना मूंग की रोपाई के लिए आदर्श माना जाता है। सितंबर-अक्टूबर तक फसल की कटाई का भी समय हो जाता है। ऐसे में हमारे किसा भाई मूंग सेबहुत अच्छा पैसा कमा सकते है ।
मूंग की खेती बनाएगी आपको मालामाल ,जाने कैसे करे इसकी उत्तम खेती
मूंग बनती है मिटटी को उपजाऊ
जिस प्रकार से कोई भी किसान अपने खेत में अधिक पैदावार के लिए अलग अलग बीजो का उपयोग करता है उसी प्रकार से मूंग कम अवधि में तैयार होने वाली दलहनी फसल है। तुअर या अरहर की दो कतारों के बीच मूंग की दो कतारों की बुआई की जा सकती है। मूंग की अन्तरवर्तीय खेती गन्ने के साथ भी की जा सकती है। मूंग के दाने का प्रयोग मुख्य रूप से दाल के लिए होता है। इसमें 24-26 % प्रोटीन, 55-60 % कार्बोहाइड्रेट और फैट यानी वसा 1.3 प्रतिशत होता है। मूंग की फसल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है। जो की किसान भाइयो के लिए बहुत ही आवश्यक होती है .
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आखिर कितने दिन में हो जाती है यह फसल तैयार
किसान भाई लोग जो भी बीजो का चयन करते है उसमे बीजो की अलग अलग समयावधि रही है लेकिन आपको बता दे की सामन्यतः मूंग की फसल 65 से 70 दिनों में पक जाती है। मार्च माह में बोई गई फसल मई के पहले सप्ताह तक कट जाती है। फलियां पकने के बाद हल्के भूरे रंग की होती हैं। कुछ फलियां काली भी होती हैं। मूंग की फसल की कटाई की पहचान फलियों का रंग ही है। सभी फलियां एक साथ नहीं पकतीं। ऐसे में फलियों की तुड़ाई हरे से काला रंग होते ही 2-3 बार में करें। बिना पकी हुई फलियों की कटाई करने से दानों की मात्रा और क्वालिटी दोनों खराब होती है। और किसान भाइयो को इन बातो का ध्यान रखना बहुत ही जरुरी है.
मूंग की खेती बनाएगी आपको मालामाल ,जाने कैसे करे इसकी उत्तम खेती
कैसे करे इस फसल की बुवाई
कोई भी व्यक्ति अगर खेती बड़ी में रूचि रखता है तो आपको बता दे की उसे उसके लिए समझ रखना बहुत ही जौरी होता है इसके लिए की खेती के लिए खतों की मिट्टी की जांच सबसे जरूरी है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक मूंग की खेती दोमट मिट्टी में अच्छी होती है। काली जमीन में भी खेती की जा सकती है। खेत में पानी जमा न होने का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। खरीफ के सीजन में बुवाई के लिए खेत को तैयार करने के लिए गर्मी में गहरी जुताई करें। बारिश होने पर 2-3 बार और जुताई करें। खरपतवार हटाने के बाद खेत में पाटा चलाकर जमीन को समतल करें। रबी सीजन में भूमि जनित रोगों के बचाव के लिए पहले से ही किसानों को सतर्कता बरतना चाहिए।जिसे की किसान भाई अधिक से अधिक उपज प्राप्त कर सके .