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‘जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन बरंजिश’ गाने का मतलब,गाने से भी सुन्दर है इसका अर्थ,जाने

'जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन बरंजिश' गाने का मतलब

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‘जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन बरंजिश’ गाने का मतलब,गाने से भी सुन्दर है इसका अर्थ,जाने

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गाने ‘जिहाल-ए-मिस्कीं’ का ताल्लुक महान कवि अमीर खुसरो की एक खूबसूरत कविता से है, जिनसे गीतकार गुलजार की लेखनी भी प्रभावित रही. अमीर खुसरो ने कविता बृजभाषा और फारसी को मिलाकर लिखी थी, जिनकी खूबसूरत पंक्तियों पर आप भी गौर करें-

‘ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,
दुराये नैना बनाये बतियां
कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऐ जान
न लेहो काहे लगाये छतियां’

अमीर खुसरो की खूबसूरत रचना का मतलब कुछ ऐसा है- ‘बातें बनाकर, आंखें चुराकर मेरी बेबसी को अनदेखा न कर. जुदाई की तपन से मेरी जान निकल रही है. मुझे अपने सीने से क्यों नहीं लगा लेते.’ इस रचना से प्रेरित होकर गीतकार गुलजार ने ‘गुलामी’ फिल्म के गाना ‘जिहाल-ए-मिस्कीं’ लिखा, जिसकी कुछ चंद पंक्तियों पर अब आप गौर फरमाएं-

‘जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन बरंजिश
बेहाल-ए-हिजरा बेचारा दिल है
सुनाई देती है जिसकी धड़कन
तुम्हारा दिल या हमारा दिल है’

‘जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन बरंजिश’ गाने का मतलब,गाने से भी सुन्दर है इसका अर्थ,जाने

‘गुलामी’ फिल्म के गाने की ये शुरुआती पंक्तियों का अर्थ ज्यादातर लोग नहीं जानते होंगे, जिसका अर्थ गाने से भी खूबसूरत है, जो कुछ ऐसा है- ‘मेरे दिल की फिक्र करो, इससे खफा न हो. बेचारे दिल ने जुदाई की तकलीफ सही है.’ लता मंगेशकर के इस गाने का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने रचा था. इस फिल्म के गानों की तरह कहानी भी शानदार थी, जिसमें मिथुन चक्रवर्ती के अलावा धर्मेंद्र, नसीरुद्दीन शाह, अनीता राज, रीना रॉय और स्मिता राज ने काम किया था. फिल्म का निर्देशन जेपी दत्ता ने किया था

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