कृषि समाचार

इस इजरायली कृषि तकनीक से करिए फल और सब्जियों का उत्पादन, होगी दुगनी पैदावार और तगड़ा मुनाफा

आज के समय पर कृषि एक बहुत अच्छा पैसे कमाने का साधन बन गया है. पहले के समय पर लोग इसे बहुत ही मामूली तौर पर करते थे लेकिन अब कृषि को लेकर लोग ज्यादा सजग हो गए हैं. आप किसान भाई पारंपरिक खेती के साथ-साथ कृषि से जुड़े फलों और सब्जियों की भी खेती करते हैं जिससे कि उन्हें दुगुना मुनाफा होता है. अगर आप भी सब्जियों की खेती करते हैं और फल और सब्जियों की पैदावार को बढ़ाना चाहते हैं तो अपना यह इजरायली कृषि तकनीक को अपना सकते हैं जिससे कि आपकी फल और सब्जियों की पैदावार में बहुत तेजी से बढ़ोतरी होगी.

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आप तो जानते ही हैं कि इजरायल भारत का न सिर्फ डिफेंस सेंटर में पाटनर है बल्कि कृषि क्षेत्र में भी भारत और इजरायल की बहुत अच्छी दोस्ती है.इसी वजह से भारत इजराइल से हथियार खरीदने के साथ-साथ नई-नई इजरायली कृषि तकनीक को भी अपना रहा है जिससे कि भारत में सब्जी और फलों का उत्पादन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. इस चर्चा की खास बात यह है कि भारत से हर साल कई सारे किस सरकारी खर्चे पर ट्रेनिंग के लिए इसराइल जाते हैं वहां पर खेती करने के लिए नई-नई वैज्ञानिक तरीकों को सिखते हैं और वापस आकर अपने गांव में इस विधि से खेती करते हैं.

इस इजरायली कृषि तकनीक से करिए फल और सब्जियों का उत्पादन, होगी दुगनी पैदावार और तगड़ा मुनाफा

आपको भारत देश में से कई सारे किस मिलेंगे जिनके इजरायली तकनीक से इनकम बढ़ गई है. साथ ही इस तकनीक को अपनों से किसानों की इनकम ही नहीं बल्कि कम लागत में प्रोडक्शन भी बढ़ गया है. इस तकनीक से पानी की बर्बादी भी बहुत कम हो गई है. तो आईए जानते हैं इस इजराइल तकनीक के बारे में-

ड्रिप इरीगेशन को अपना रहे हैं

आपको तो पता ही होगा कि इसराइल में आधे से ज्यादा जमीन रेगिस्तान है फिर भी वहां पर किस वैज्ञानिक विधि से फल और सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इजराइल में किसान कम पानी में ही बागवानी कर रहे हैं. इसराइल के किस ड्रिप इरीगेशन को अपना रहे हैं. साथ ही इजरायली कृषि तकनीक को और आगे बढ़ाने के लिए भारत और इजरायल के बीच कई सारे समझौते भी हुए हैं. भारत और इजरायल के इन समझौता के तहत भारत में संरक्षित खेती पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है.

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यही वजह है कि आज के टाइम पर मार्केट में अब सालों भर खीरा,टमाटर, फूलगोभी, पालक, मूली और गाजर जैसी सीजनली सब्जियां मिल रही है. जब के पहले यह सब्जियां साल भर उपलब्ध नहीं हो पाती थी. जैसे कि पहले गाजर और मूली केवल सर्दियों के मौसम में ही आपको बाजार में मिलती थी लेकिन संरक्षित खेती के कारण अब खेत इनकी खेती साल भर करी जा सकती है.

फल और सब्जियों का उत्पादन बढ़ गया है

हम जिस संरक्षित खेती की बात कर रहे हैं वह कृषि की एक नई तकनीक है जिसके तहत नियंत्रित वातावरण में खासकर सब्जी और फलों की खेती की जाती है. इस विधि के अंतर्गत किसानों को अपने खेतों या जमीनों पर नेट हाउस या ग्रीनहाउस बनाना पड़ता है और इसी के साथ इसके अंदर सब्जियों की बुवाई करी जाती है. नेट हाउस की खास बात यह है कि इसके अंदर फसलों के ऊपर किट, धूप, बारिश, लू,पाला और शीतल हर का असर नहीं पड़ता है.

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साथ ही इस विधि में पानी की खपत भी बहुत कम होती है क्योंकि नेट हाउस में ड्रिप सिंचाई की जाती है. अभी के समय पर बिहार, उत्तर प्रदेश,हरियाणा, राजस्थान और झारखंड सहित लगभग पूरे देश में नेट हाउस और ग्रीन हाउस में सब्जी और फलों की खेती करी जा रही है. इस विधि से देश भर में फल और सब्जियों का उत्पादन तेजी से बढ़ गया है.

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