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“भारत दाल” का दूसरा चरण शुरू, इतने कम दाम में सरकार बेचेगी दाल

Indian Pulses Second Phase:  देश में बढ़ती मंहगाई से जहां हरी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। वहीं दालों की कीमत भी अपने चरम पर है। हालांकि, दालों की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय खाद्य एवं उपभोक्ता विभाग द्वारा खास पहल की गई है। दरअसल, विभाग ने बुधवार को सब्सिडीयुक्त दाल कार्यक्रम का विस्तार किया और ‘भारत’ ब्रांड के तहत चना, मूंग और मसूर जैसी दालों की रियायती दरों पर बेचने की घोषणा की।

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“मंत्री प्रहलाद जोशी की पहल का उद्देश्य है…!!

• खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी की तरफ से शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य सहकारी खुदरा नेटवर्क और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के जरिए लोगों को रियायती दरों पर चना, मूंग और मसूर जैसी दालें उपलब्ध कराना है।

Indian Pulses Second Phase

 भारत दाल के दूसरे चरण का शुभारंभ

मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि सरकार दालों की कीमत में स्थिरता बनाए रखने के लिए अपने बफर स्टॉक से दालें बेच रहे हैं। सरकार ने खुदरा हस्तक्षेप के जरिए वितरण के लिए 0.3 मिलियन टन चना और 68,000 टन मूंग अलॉट किए हैं।

इन दामों में बिकेगी दालें…???

भारत दाल के तहत ‘चना साबूत’ 58 रुपये प्रति किलो, चना 70 रुपये प्रति किलो और मसूर दाल 89 रुपये प्रति किलो की दर से बेची जाएगी। ये राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (NCCF), राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED), केंद्रीय भंडार और बाकी चैनलों जैसी सहकारी समितियों के जरिए से मिलेगी। ये कीमतें मार्केट प्राइज से करीब 20 से 25 प्रतिशत तक कम हैं।

इस त्यौहारी सीजन के दौरान उपभोक्ताओं के लिए आपूर्ति बढ़ने की आशंका 

भारत दाल की बिक्री फिर से शुरू होने से मौजूदा त्यौहारी सीजन के दौरान उपभोक्ताओं के लिए आपूर्ति बढ़ने की भी उम्मीद है। जोशी ने कहा कि दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए NAFED और NCCF जैसी एजेंसियों ने पिछले खरीफ सीजन में किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज वितरित किए थे और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अरहर, उड़द और मूंग जैसी दालों की खरीद सुनिश्चित की गई थी।

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एक आधिकारिक बयान के अनुसार:- इस साल खरीफ दालों के बढ़े हुए क्षेत्र कवरेज के साथ-साथ आयात के निरंतर प्रवाह से जुलाई, 2024 से अधिकांश दालों की कीमतों में गिरावट का रुख है। पिछले तीन महीनों के दौरान अरहर दाल, उड़द दाल, मूंग दाल और मसूर दाल की खुदरा कीमतों में या तो गिरावट आई है या वे स्थिर रही हैं।

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आयात की आशंका..!!

खरीफ की अच्छी फसल और आयात की संभावनाओं के कारण दालों की कीमतों में नरमी आने से दालों की मुद्रास्फीति सितंबर में 9.8 प्रतिशत बढ़ गई, जबकि अगस्त में यह 113 प्रतिशत थी। चना, अरहर और उड़द जैसी प्रमुख दालों की किस्मों के कम उत्पादन के कारण दालों में खुदरा मुद्रास्फीति जून 2023 से दोहरे अंकों में रही है। पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने भारत ब्रांड के तहत गेहूं, चावल और दाल जैसी आवश्यक वस्तुओं की बिक्री शुरू की थी और यह जून तक जारी रही।

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सरकार वर्तमान में प्याज के लिए 35 रुपये प्रति किलो और टमाटर के लिए 65 रुपये प्रति किलो की दर से मूल्य हस्तक्षेप लागू कर रही है, जिसे सहकारी समितियों और अन्य एजेंसियों के माध्यम से सीधे उपभोक्ताओं तक वितरित किया जा रहा है।

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