Income tax Department: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का बड़ा एक्शन; डिपार्टमेंट की नजर में 2 लाख से ज्यादा टैक्सपेयर्स, हो सकती है बड़ी कार्रवाई

Income tax Department : 4,100 करोड़ रुपये के संदिग्ध क्लेम करने वाले 1.4 लाख से ज्यादा टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर में हैं. अब, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उन्हें अपने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) को ठीक करने के लिए कह रहा है. ये जानकारी शनिवार को टैक्स डिपार्टमेंट के आधिकारिक सूत्रों ने दी है.
डिपार्टमेंट की नजर में 2 लाख से ज्यादा टैक्सपेयर्स
एक सूत्र ने कहा, ‘डेटा एनालिटिक्स ने 2 लाख से ज्यादा टैक्सपेयर्स को फ्लैग किया है, जिन्होंने सेक्शन 80GGC के तहत संदिग्ध डिडक्शन का दावा किया था. ये लगभग 5,500 करोड़ रुपये के थे और संदिग्ध या गैर-मौजूद RUPPs (रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल) और गैर-असली चैरिटेबल संगठनों को इसी तरह के फर्जी डोनेशन के जरिए रूट किए गए थे.’
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बताया है कि 54,000 टैक्सपेयर्स ने पहले ही अपनी फाइलिंग को ठीक कर लिया है और लगभग ₹1,400 करोड़ के अयोग्य दावों को वापस ले लिया है और अपने रिटर्न को अपडेट किया है. सूत्र ने कहा, ‘इनमें से अधिकतर टैक्सपेयर्स ने 5 लाख से कम के डिडक्शन का दावा किया है. कुछ कंपनियों ने बहुत ज्यादा डिडक्शन का भी दावा किया है.
एक अन्य सूत्र ने बताया कि 14 जुलाई 2025 को देश भर में वेरिफिकेशन और एनफोर्समेंट कार्रवाई की गई, जिसमें 150 जगहों को कवर किया गया. इस दौरान 102 से अधिक RUPPs को फर्जी डोनेशन से जुड़े डिडक्शन को आसान बनाने में उनकी भूमिका के लिए संदिग्ध पाया गया है. इसमें ये भी पाया गया कि एक बिचौलिया सिनेमा हॉल / सोशल मीडिया में गारंटीड रिफंड का विज्ञापन कर रहा था और कमीशन के भुगतान पर रिफंड के गैर-असली दावों के लिए टैक्सपेयर्स को लुभा रहा था.
CSR से जुड़े ट्रस्टों का हुआ इस्तेमा
Income tax Departmentसूत्रों के अनुसार, एक कार्रवाई में ये पाया गया कि प्रोफेशनल्स का एक सिंडिकेट था जो व्हाट्सएप/टेलीग्राम चैनलों के माध्यम से उन टैक्सपेयर्स को ढूंढ रहा था जो RUPPs या चैरिटेबल संगठन को गैर-असली डोनेशन देकर टैक्स लायबिलिटी कम करना चाहते थे. सूत्रों ने बताया कि जांच में CSR से जुड़े ट्रस्टों के दुरुपयोग का भी पता चला. जिन्होंने कैश-बैक के बदले फर्जी डोनेशन रसीदें दीं, जिससे कॉर्पोरेट गवर्नेंस नियमों और राजनीतिक फंडिंग नियमों दोनों को कमजोर किया गया.



