Guru Purnima : कब है गुरु पूर्णिमा? किस भगवान की पूजा की जाती है?
Guru Purnima नई दिल्ली: दुनियाभर में भारत एक ऐसा देश है तो गुरु शिष्य परंपरा के लिए जाना जाता है। यहां गुरु को भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है। कहा जाता है कि गुरु अपने शिष्य को हमेशा आगे बढ़ने और सत्य के मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं। गुरु के सम्मान में भारत में आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर शिष्य अपने गुरु को सम्मान कर आशीर्वाद लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है? नहीं तो चलिए जानते हैं।
कब है गुरु पूर्णिमा?
मिली जानकारी के अनुसार गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व इस वर्ष 21 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई शाम 05:59 मिनट से होगी। इसका समापन 21 जुलाई को दोपहर 03:46 मिनट पर होगा। इस दिन, शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका सम्मान करते हैं। गुरु पूर्णिमा भारत में अपने आध्यात्मिक गुरु के साथ-साथ अकादमिक गुरुओं के सम्मान में उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाने वाला पर्व है।
गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान वेद व्यास, जिन्हें हिंदू धर्म का आदि गुरु माना जाता है, का जन्म हुआ था। वेदव्यास ने महाभारत, वेदों और पुराणों सहित कई महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी। इसके अलावा, गुरु पूर्णिमा को भगवान कृष्ण ने अपने गुरु ऋषि शांडिल्य को ज्ञान प्रदान करने के लिए चुना था। इसी दिन, भगवान बुद्ध ने भी अपने पहले पांच शिष्यों को उपदेश दिया था।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को क्या देना चाहिए?
इस दिन, लोग अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए उनके चरणों में स्पर्श करते हैं, उन्हें मिठाई और फूल भेंट करते हैं, और उनका आशीर्वाद लेते हैं। गुरु मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कई जगहों पर, गुरु शिष्य परंपरा को दर्शाने वाले नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लोग इस दिन दान-पुण्य भी करते हैं।
गुरु पूर्णिमा पर किस भगवान की पूजा की जाती है?
Guru Purnima हर इंसान के जीवन में कोई न कोई गुरु होता है, खास बात ये है कि जो किसी को गुरु नहीं मानता है वो भी किसी न किसी से अपने जीवन में सीखता है। हम सब के जीवन में कोई न कोई हमारा आदर्श होता है। वे भी हमारे गुरु के समान होते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन सभी लोगों को अपने गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहिए। ऐसा करने से न सिर्फ गुरु और शिष्य के बीच का संबंध अच्छा होता है बल्कि दोनों को एक दूसरे के प्रति सम्मान और बढ़ जाता है।